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मेरीसुहाग रात Ch. 01

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अपने पति के साथ एक नव वधु की पहली सुहाग रात की अनुभव...
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मेरीसुहाग रात - 1                            हेमा नंदिनी

दोस्तों हाय! कैसे है आप सब; मैं हूँ आपकी चहेती हेमा, हेमा नंदिनी आज एक बार मेरा एक और अनुभव के साथ आपके मनोरंजन के लिए। आज मैं आपको मेरा सुहाग रात वाली किस्सा सुनाने जा रही हूँ। ध्यान से सुनियेगा (पढियेगा)

पहली रात

रात के नौ बज चुके थे। मैं धड़क ते दिल से मेरे पति के इंतज़ार में बैठि थी। हाँ सही सुना आपने, धड़कते दिल से ही। क्यों की आज मेरा सुहागरात है। पूरा कमरा और बेड फूलो सजा हुआ था। कमरे में पूलों के मनमोहक महक के साथ साथ अगरबत्तियों का भी महक वातावरण को मदहोश बना रहे थे। सुहाग रात के सारा वास्तु कमरे में थे जैसा की एक टेबल पर तीन चार किस्म के फल, कुछ मिठाईयां, और एक थरमास मे गर्म दूध यह सब तो हिंदुस्तानी सुहाग रात के दिन आम बातें है।

जैसे की मैं बोली थी की में मेरे पति के आगमन के लिये उत्सुक हूँ। 'क्या करेंगे? और कैसे करेंगे? उनका कितना बड़ा और मोटा होगा...' यह सब बातें मेरे मस्तिष्क में घूम रहे है। वैसे इस से पहले मैं दो दो मर्दों से चुदवा चुकी हूँ फिर भी सुआगरात की उत्सुकता अलग ही है। पाठकों को मालूम है की मैं अपने कजिन, शशांक भैय्या और एक दूर के रिश्तेदार जो नाना लगते है उनसे चुदवा चुकी हूँ। फिर भी आज की रात की टेंशन मेरे ऊपर हावी थी।

आखिर मेरा इंतजार ख़त्म हुआ और मेरे पति कमरे में आकर अंदर से संकल लगाए। मेरी दिल की धड़कन और तेज हो गयी। आँखों की कनकियों से मैं उन्हें देखि।

वेह मेरे से कोई पांच या छः इंच लम्बे जोंगे। मैं 5 फ़ीट 5 इंच की हूँ। हट्टा कट्टा तो नहीं थे पर अच्छे तंदरुस्त वाले आदमी है। सफ़ेद कुरता और पजामा पहने थे और होंठो पर हलकी सी मुस्कान थी। वे आकर मेरे बगल में बैठते ही मेरी टैंशन और बढी।

"टैंशन मत लो, सहज रहो..." बोलते हुए मेरे कंधे पर हाथ रख कर हल्कासा दबाव डाले। मैं उन्हें देख कर हलकी सी मुस्कुरा दी।

"शभाष..ऐसे ही हमेशा मुस्कुराते रहना.." बोले और आगे झुक कर मेरे गाल को चूमे। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे सारे शरीर में हज़ारों चीटिया रेंग रहे हो। सारा शरीर एक बार सिहर उठा।

"क्या नाम है आपका...?" वह पूछे। यह सब नयी नवेली दुल्हन से बाते करने का एक तरीखा है सो मैंने धीरे से बोली "हेमा..."

"बहुत अच्छा नाम है... हेमा का मतलब जानती हो क्या...?" अब उनका हाथ मेरे कमर के गिर्द लिपट गयी। उनकी गर्म और नरम उँगलियाँ मेरे कमर पर गुद गुदी कर रहे है।

"वो तो सिर्फ नाम है.. इसका मतलब क्या हो सकता है..?" मैं धीरे से बोली।

"हर नाम का एक मीनिंग होती है.. जैसे तुम्हारी नाम का भी है.."

"अच्छा.. क्या मीनिंग है.. बतईये.. मुझे यह बात नहीं मालूम.." मैं बोली हालांकि मेरा नाम का मतलब मैं जानती हूँ लेकिन मैं उनके सामने अल्हड़ और भोली होने का नाटक कर रही हूँ।

"हेमा का मतलब है 'सोना' यानि की 'गोल्ड मेरे जीवन मे तुम गोल्ड बनके रहोगी.. रहोगी ना..?" इस बार मेरे दुसरे गाल को चूमते बोले।

"जी ... जैसा आप बोले मैं वैसे ही रहने की कोशिश करूंगी" मैं मेरे कमर पर घूमते उनके हाथ को पकड़ कर बोली।

"गुड मैं यही चाहता हूँ.. मेरा नाम नहीं पूछेंगी आप..?"

"मुझे आप मत बोलो.. में आपकी पत्नी हूँ तुम बोला करो.." में बोली।

"ठीक है जैसा तुम बोलो.."

"अब बोलिए आपका नाम क्या है..?" में पूछी।

"मोहन...."

"क्या आपका नाम का भी मीनिंग है क्या..?"

"हाँ! है न... मोहन का मतलब है मोहने वाला यानि की दिल चुराने वाला..."

"बापरे फिर तो मुझे आपसे संभल के रहना होगा" मैं ढरने का अभिनय करती बोली।

"वो क्यों..?"

"कहीं आप मेरा दिल चुरा लिये तो...."

वह खिल खिलाकर हांसे.. तुम अच्छी मज़ाक करलेती हो.. बस मुझे ऐसी ही पत्नी चाहिए थी, वैसे तुम्हे मालूम है की तुम कितनी सुन्दर हो.."

"क्या मैं सच मे मैं उतनी सुन्दर हूँ; सुना है आप ने मेरे लिए डेड साल से ढूंढ रहे है...ऐसा क्या देखा अपने मुझमे...?" में पूछी।

"हाँ सच है, कोई डेड साल पहले मैं तुम्हे एक शादी में देखा था तो मेरी दिल तो तुम ने तभी चुराली और तब मैं निर्णय लिया कि शादी करूंगा तो तुम्ही से... नहीं तो नहीं..

"ऐसे क्या देखे आपने मुझमें...? मैं उन्हें देखती पूछी।

"तुहारी हर चीज़ मुझे भा गयी। तुम्हारी अदा, मुस्कान, पतले होंठ, गुलाबी गाल, हंसमुख चेहरा... सबसे ज्यादा तो तम्हारी कमर की लचक और ऊके नीचे....." वह रक गए।

"छी .. आप कितने गंदे है...किसी अनजान लड़की को कोई ऐसा देखता है क्या भला...?" में अपनी गोल आंखे घुमाती बोली।

"यही तो अदा मुझे पसंद है.. उस शादी में भी मैं तुम्हे किसी से ऐसे ही अदा से बात करते देखा था..." अब उनके हाथ मेरे उन्नत वक्ष पर आये और धीरेसे प्रेस करनेलगे।

कुछ देर हम दोनों मे ख़ामोशी रही। फिर उन्होंने बोले "हेमा..."

"वूं...."

"एक बात पूछूं..."

"जी पूछिए..."

"तुम इतनी सुन्दर हो.. क्या तुम्हारे कॉलेज में कोई बॉय फ्रेंड था...?"

"छी... मैं वैसी लड़की नहीं हूँ..." मैं उनके हाथों को मेरे ऊपर से निकलते बोली और दूर हटी।

"मैं कहा कहरहा हूँ की तुम वैसी लड़की हो, में तो सिर्फ पूछ रहा हूँ कि कोई तुम्हारा बॉय फ्रेंड था या नहीं..."

"नहीं मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...वैसे लड़के मेरे पीछे तरह तरह के कमेँट्स करते थे.. और मेरे से दोस्ती करने की तमन्ना थे लेकिन मैं किसी को बढ़ावा नहीं दी।

उन्होंने मुझे फिर अपने आगोष में लिए और मेरे कंधे से साड़ी के पिन निकालने लगे। "नहीं ऐसा मत करिये मुझे शर्म आति है..." मैं लजाती बोली।

"अरे आज के दिन शरमावोगी तो कैसे चलेगा.. वैसे तुम्हे मालूम है न की आज क्या होने वाला है...?" उन्होंने मेरे साड़ी कंधे से निकाली और ब्लाउज के अंदर की चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाते पूछे। मेरा सूरत शर्म से लाल हो गयी और में अपना सर झुकाली।

"अरे... बोलो आज हमारा सुहाग रात है.. और पति पत्नी में क्या होता है...?"

"नहीं.. मुझे नहीं मालूम.." में उन्हें चिढ़ाते बोली... मेरे आँखों में छिछोरापन थी। मेरे होंठों पर हलकी सी मुस्कान थी।

"हहहहहहहहहहहहा.. हआ... तुम्हारा मुस्कुराना बता रही है की तुम्हे मालूम है.. बोलो प्लीज क्या होता है...?" वह मेरी ठुड्डी पकड़ कर मेरे आँखों में देखते पूछे। में अपनी आंखे नीचे झुकाये बोली.. नहीं.. मुझे लज्जा हो रही है..छोड़ो.." में नखरे करते बोली।

"प्लीज डार्लिंग, बोलो ना..."

"नहीं.. मुझे शरम आ रही है..."

"वैसे मालूम तो है न क्या होता है...?"

शरम से लाल होती मैं मन्द्र स्वर में बोली.. "आप कितने वह है.. मुझे मालूम नहीं था कि आप इतने बेशरम है.. अच्छा बाबा मालूम है... लेकिन यह बात मेरे से मत कहलाओ प्लीज..." तब तक उन्होंने मेरे ब्लाउज मेरे शरीर से उतार दिये और ब्रा के ऊपर दिखने वाली मेरे उभारों पर हाथ फेरते बोले.. "वाह.. कितना मुलायम है.. तुम्हारी त्वचा..." और मेरे स्तन को जोर से भींचे...."

"Mmmmmm..sss......hhhhhh..." मेरे मुहं एक मीठी सिसकारी निकली।

"मैं बोलूं आज क्या होता है...?" एक निप्पल को ब्रा के ऊपर से पकडे और उसे पिंच करते पूछे।

"नहीं मुझे नहीं सुन न.. है.." मैं चूची मींजने का आनंद लेती लजाते बोली।

"डार्लिंग.. लेकिन मुझे तो बोलना है.. और तुम्हे सुन ना है.." मैं खामोश रही।

"वह मेरे कानों के पास अपना मुहं ले आये और फूस फुसते बोले.... "आज चुदाई होती है.."

"छी आप बहुत ही गंदे है.. ऐसे भी कोई अपने पत्नी से बात करते है क्या...?

"अरे बाबा... पत्नी से ही कहते है.. बाहर वालों से करेंगे तो क्या होता है मालूम... सब पकड के पीटते है.." उन्होंने ढर ने का नाटक करते बोले। उनका ढर ने का नाटक इतना अच्छा था की मैं खिल खिलाकर हंसी..."

"कितना अच्छा है तुम्हारी यह हसी.. सच बहुत मनमोहक है... हमेशा ऐसे ही हँसते रहना..." वह बोले।

फिर उन्होंने मिठाई की प्लेट से एक काजू बर्फी लेकर एक कोना अपने मुहं में रखे और दूसरा कोना मेरे मुहं के तरफ बढ़ाये। मैं लजाते उस कोने को मी मुहं में पकड़ी। वैसे ही उन्होने पूरा बर्फी मुझे खिलाये और आखिर अपना टंग मेरे मुहं में दिए। अब मेरे में भी उत्तेजना बढ़ने लगी तो मैंने भी उनके जीभ को मेरे मुहं में लेकर चूसी। सच बहुत मज़ा आया। एक बर्फी खाने के बाद उन्होंने बोले "अब तुम्हारी बारी..."

मैं भी एक मिठाई उठाई और मेरे मुहं में रख उनको दिखाई और वह उस मिठाई को मेरे मुहं से लेते खगाये और लास्ट में मेरे टंग को अपने मे लेकर चूसे और चुभलाते बोले.. "हेमा तुम्हारी यह होठ तो बहुत ही नाजुक है है जैसे कँवले पान हो। (tender beetle leves)

फिर कुछ देर उन्होंने मेरी फॅमिली के बारे में पूछे।

"मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मेरे दो बहने है दोनों ही मेरे से छोटे है" मैं बोली।

"मैं कितना खुशनसीब हूँ,, हंसी मजाक करने केलिए मेरे दो दो सालिया है..."

"क्यों पत्नी बस नहीं है क्या...? सलिया भी चाहिए...?"

"अरे रानी हंसी मजाक सालियों से करने में हि मजा अति है.. वैसे तुम्हारे बहने हाँस मुख है न...?"

"जब मिलोगे तो पता चलेगा... की कितने हंस मुख है और कितने नटखट है..." में नोली।

फिर वह अपनी फॅमिली के बारे में बताये। उनके पापा यानि की मेरे ससुरजी और उनकी दूसरी पत्नी, एक सगी बहन जिसकी शादी हो चुकी है और एक बच्चे की माँ है और एक सौतेली बहेन यह है उनकी फॅमिली।

फिर उन्होंने एक ऑरेंज उठाये। वह जरा बड़े साइज का है उसे देखते बोले.. हेमा देखो कितने बड़े है यह ऑरेंज.. इसे देखकर मुझे कुछ और सूझ रही है..." ब्रा के अंदर की मेरे उभारों को देखते बोले। फिर पूछे "क्या तुम्हे मालूम है कि मुझे क्या सूझ रही है...?"

में समझ गयी वह क्या पूछ रहे है... लाज से लाल होती उनके हरकतों का और बातों का जायका ले रही हूँ। फिर उन्होंने एक लम्बा सा केला उठाये और मुझसे पूछे अब तुम बोलो इसे देख कर तुम्हे क्या सूझ रही है...?"

मुझे अब मालूम हो रहा है कि मेरे पति कितने रंगीन मिजाज के है।

अब तक मेरी लज्जा ज्यादा तक कम हो चुकी है। फिर मैं भी सोची की मैं भी मेरा मजाक का उन्हें परिचय दूँ। मैंने प्लेट से एक कचोरी निकाली और उन्हें दिखाती पूछी "अपने बहुत पूछ लिए है.. अब मेरी बात का जवाब दो 'इसे देख कर आप को क्या सूझ रहा है?"

"वाह। . क्या हाजिर जवब हो तुम.. मुझे क्या सूझ रही है.. बोलूं...?

"हाँ.. हाँ बोलिये.. क्या सूझ रही है...?"

उन्होंने झट मेरे जांघों के बीच अपना हाथ घुसेड़े और मेरी वहां की उभार को जकड़ते बोले "यह... "

"छी ..... यह क्या कर रहे है आप...?" मैं उनका हाथ वहां स निकालने ने की कोशिश करता बोली।

"वही जो तुम चाहते हो..." कहते उन्होंने मेरी साड़ी का फ्रिल्स भी खींच डाले और मेरी पेटीकोट का नाडा भी। फिर मेरे हाथ पकड़ कर खींच पाजामे के ऊपर से ही अपनी मर्दानगी मेरे हाथ में पकड़ाए। अनजाने में ही मेरे मुट्ठी उसके मर्दानगी के गिर्द लिपट गयी। पाजामे के ऊपर से ही मैंने उनकी गरमाहट को महसूस करने लगी। सच मानो तो अब मुझ से भी सहा नहीं जा रहा है। एक बार तो सोची थी की मुझे चोदने के लिए कहु, लेकिन वह कुछ और न समझ बैठे खामोश रही।

तब तक उन्होंने मेरा ब्रा भी उखाड फेंके और मुझे पलंग के निचे उतारे। जैसे ही मैं पलंग से नीचे उतरी मेरी साड़ी और पेटीकोट मेरी पैरों में गिरी और में उनके सामने बिलकुल नंगी खड़ी थी।

शरम से लाल पीली होती मैं एक हाथ से मेरे चूचियों को तो दूसरे हाथ से मेरी बुर को ढंकने की कोशिश करि।

"अब देखने भी तो दो मेरी पत्नी की कितनी अच्छी है.." कह कर मेरे हाथों को निकाले और मेरे जंघों मे घूरने लगे। मुझे लज्जा हो रही है लेकिन उन्होंने मेरे दोनों हथों को पकड़ रखे है तो खामोश रह गयी।

"वाह...हेमा! कितनी फूली फूली है यह कचोरी, लगता है खूब मसाले दार लगती है..चखूँ...?" वहां के उभर को अपने हथेली में जकड कर बोले।

मुझे ऐसा लग रहा है की मैं स्वर्ग में विचर रहीं हूँ। "जाईये आप बड़े वो है..." में नखरे करते आँख मिचकाते बोली।

"अरे यह क्या बात है भाई.. हमने ऐसा क्याकर दिया...?" मेरे गालों को हल्का सा दाँतों से काटते पूछे।

"सब कुछ तो कर ही दिए और नादान बन रहे हो.. देखों मैं किस हालत में और आप किस हालत में है..." मैं उनकी जाँघों के बीच नज़र गढाती बोली।सच मानो तो मुझे भी अब जल्दी है की कब वह अपने दिखायेंगे और कब अंदर घुसेड़ेंगे.. में बहुत उतावली हूँ।

"अच्छा तो मेरे प्रियतम अपने पति का नंगापन देखना चाहती है..." और अब की बार उन्होंने मेरे निप्पल को दांतों में दबाये।

"ssssshhhsshhh" मैं आनंद से कराहि और बोली "क्यों नहीं देखूं जब मैं आपके सामने नंगी हूँ तो आप क्यों नहीं ..?"

अच्छा बाबा दिखाते है अपना नंगापन लेकिन एक बात बोलो.. तुम्हारा इंटरेस्ट मेरा नंगापन देखने का है या मेरा.... "

"आपने मेरा वह देख ली न..तो आप अपना मुझे नहीं दिखाएंगे..?" मैं हाजिर जवाब दी।

"मैंने क्या देखा और तुम्हे क्या दिखावूं.. बोलो...."

"नहिं मुझे नहीं बोलना है.... आप बहुत शातिर है" में लजाने का नाटक करती बोली।। मुझे यह सब अच्छा लग रहा है.. वैसे मेरी बुर भी अपना मदन रस छोड़ने लगी।

"अच्छा बोलो तुम क्या देखना चाहती हो...?" अब की बार उनके होंठ मेरे होंठों को अपने में लेकर पूछे।

"आपके जंघोंके बीच जो है वही..."

"क्या है मेरे जांघों के बीच.."

"वही जो औरतों को या लड़कियों को तृप्ति देती है.. वही.."

"तुम्हे मालूम है की वह आनंद देती है...?"

"हाँ! मेरी एक सहेली है.. जिसकी शादी हो चुकी है। उसीने बताया है।"

"डार्लिंग उसका नाम भी तो होगा.. उसका नाम लो.."

"नहीं; मुझस शरम आ रही है..."

"प्लीज डार्लिंग.. तुम एक अच्छी पत्नी हो.. प्लीज.."

"आप बड़े वह है.. मेरे से सब गन्दी बातें कहलवा रहे है... पहले आप बोलो अपने मेरे जांघों में क्या देखा..?"

"मर्दों को तृप्ति देने वाली, जिस से सृष्टि बनती है.. और वह है.. चूत, बुर, या फुद्दी को... अंग्रेजी में पुसी, कंट वगैरा... अब तो मत तड़पाओ बोलो मेरे जाँघों में क्या है...?"

में शर्म से लाल होती हलके स्वर में बोली... "आपका लंड, लवड़ा, या डिक, पेनिस..." में बोली।

"देखो मैं पजामा उतार रहा हूँ" और उन्होने पजामा नाडा खींचे और उनका पजामा उनके पैरों के पास। अब वह भी मेरी तरह पूर्ण नंगे थे। उनका मर्दानगी हल्का ब्राउन (brown) कलर का है। पेडू (crotch) पर काले गुँघुराले बाल है। मैंने देखा की उनका वह कोई 7 इंच लम्बाई और 3 इंच मोटा है और कड़क होने की वजह से उनका गुलाबी सुपाड़ा भी कुछ, कुछ बाहर दिख रहा है। उसे देखते ही मेरे चूत में पानी रिसने लगी और अंदर कहीं खजुली सी हो रही है।

"बहुत खूब... अच्छा एक बात और.. क्या सच में तुमने नहीं चुदवाया। ..?"

"छी छी आप कैसे बात कर रहे है.. छोड़ो आप को मेरे बातों पर विश्वास नहीं है..." में बोली और झट उठकर साड़ी लपेटने लगी।

"अरे यह क्या कर रहे हो.. तुमने मेरा गलत मतलब निकली है... मेरा मतलब है की अगर वैसा है तो पहले तुम्हे तैयार करना है... इसीलिए पुछा..." वह मेरे से मिन्नत मांगते बोले।

"तैयार करना है... क्या तैयार करना है...?" मैं उन्हें पूछी।

इधर आओ बताता हूँ" कह कर वह मुझे फिर से बेड पर मेरे पीठ के बल लिटाये और मेरे जांघों के बीच घूरने लगे। उनका ऐसे घूरना देख में शर्म से लाल हो गयी और अपनी चूत को दोनों हाथों से ढ़क् कर बोली .. "ऐसे मत दखो.. मैं कह चुकी हूँ की मुझे लाज आती है..."

"उस लाज को तो निकालना है..." उन्होंने मेरे जांघों के बीच आये और अपना मुहं वह मेरे बुर से चिपका दिए। "अरे यह क्या कर रहे हो.. छी ... छी वह गन्दी है..." में उनके मुहं को वहां से धकेलने की पूरी कोशिश की।

लेकिन उंहोने मुझे छोड़े नहीं और लगे मेरी बुर को चाटने और खाजाने.. वहां से रिसती मदन रस चाटने लगे।

"mmmmmmmmmhhhaaaahhhhhhhh.... "मेरे गले से एक मीठी सिसकारी निकली।

"अच्छा है की नहीं...?" वह पूछे।

"बहुत अच्छी है... मुझे नहीं मालूम इसमें इतना सुख है... फिर ऐसा क्यों कहते है की वह गन्दी है...वगैरा ..वगैरा..." में उनके मुहं को मेरे चूत पर दबाती बोली।

"देखो तुमने कहा है की तुमने कभी नहीं करवाई... इसीलिए यह सब ज्ररूरी है ताकि तुम्हारी बुर कुछ गीला और चिकना हो ताकि मेरा लंड को ले सके..." वह बोले. मैं अपने आप में हंसी बेचारे मेरे पती उन्हें नहीं मालूम है की मैं दो दो लैंड पहले ही मेरे खुजलाती चूतमें ले चुकि हूँ...!

यह कहने के बाद मेरे पति ने फिर से मेरी बुर को चुभलाने लगे। दोनों अंगूठियों से मेरे दोनों फांकों को चौड़ा कर अपने जीभ अंदर तक घुसेड़े। उनका जीभ मेरे अंदर जाकर खलबलि मचा रही थी। फीर उनका टंग बुर के अंदर के मेरे दाने को दबाये तो मैं गद गद हो गयी। आअह्ह्हा..ममम... अच्छा है और अंदर तक पेलो.. अपना जीभ... ऊम्मम... और अंदर" मैं बड बडा रहि थी।

मेरे अंदर से इतना रस बहा की जिसे एक बांध टूट चुकी हो। मोहन; मेरे पति मेरे बुर को अंदर तक अपने जीभ से चोद रहे है, और एक हाथ ऊपर ला कर मेरे घाटीली चूची पकड़ कर मसलते बोले.. "हेमा कितना कड़क है तुम्हारी चूची.. आअह्ह्ह"

मेरे अंदर भी इतना खुजली हो रही है की अब मुझसे सहा नहि जा रही है। मैं उनके सर को मेरे चूत पर दबाते "मेरे पति देव .. मेरे राजा.. मुझे कुछ हो रहा है.. कुछ करो..." मैं मदहोश होकर बोली।

"क्या करूँ डार्लिंग...?" अपना काम जारी रखते पूछे ...

"कुछ भी करो..लेकिन करो.. मेरी अंदर की खुजली मिटाओ.. oooofffoo और मत तड़पाओ..." में बोली।

उन्होंने सर उठाकर मुझे देखते बोले "तम्हारी यह खुजली मिटाने का एक ही उपाय है..?"

"क्या है... जल्दी करो उसे..."

"वह उपाय है तुम्हे चोदना चोदूं "

"तो चोदो न मेरे पति देव.. में आपकी पत्नी हूँ.. और पत्नी को ऐसे नहीं तड़पाते..."

मैं ऐसे बोलने की देरी थी उन्होंने मेरे फांकों को चौड़ा कर अपना सुपाड़ा वहां रख कर हल्का सा दबाव दिए। उनका लंड का मोटा नॉब मेरी फांकों को चौड़ा कर अंदर घुसी।

"आअहाहहहहहह....' में दर्द से कराहिं। में आखिरी बार चुद के तीन महीने का ऊपर हो गया तो मेरी बुर कुछ तंग हो गयी ऊपर से मैं मेरे मांस पेशियों (cunt muscles) को टाइट कर रखी थी।

उन्होंने कुछ देर रुके और अपना डंडा थोड़ा सा बहार खींच फिर एक झटके में अंदर तक डाल दिए। उनका आधे से ज्यादा मेरे अंदर समा गयी।

"आअह्ह्ह्ह....मै मरी... ओफ्फो.. निकालो..दर्द हो रहा है..." मैं चिल्लाई। ..

मोहन रूक गए और बोले "बस रानी हो गया... अब रास्ता साफ है.. बस थोडा सा बर्दास्त करो..फिर देखो कितना मजा आता है" कहते मेरे आंसू भरआये आँखों को चूमे आंसू को चाटे। एक ओर मेरी मस्तियों से खिलवाड़ भी कर रहे थे...

कुछ देर ऐसा करने के बाद अब फिर से मेरी मुनिया रिसने लगि और अंदर कि खुजली फिर से शुरू हुई। मैं उनके आँखों में देखते हंसी और अपना कमर उठायी।

"उन्होंने मेरी आँखों को चूमते पूछे... "हेमा... डार्लिंग.. शरू करूँ ..."

मैं मेरे हाथ उनके गले में डालकर फिर से अपना कमर उठायी। वह अपना नॉब तक बहार खींचे और एक जबरदस्त शॉट दिए। "आअह्ह्ह्ह..." में सिसकारी ली और और मेरी नितम्बों को उछली।

मैं नितम्बों को उछालना देख उन्हें जोश आगयी और लगे दना दन चोदने .. पहले कुछ शॉट टाइट गए लेकिन फिर उनका पिस्टन (piston) अब ऑइलिंग होकर आसानी से अंदर बहार होने लगी।

"बाप रे हेमा कितना टाइट है तम्हारी... उफ़... सच मजा आया..लेलो मेरा लैंड पुरा अंदर तक लेलो.."

"पेलो न मेरे राजा... पूरा अंदर तक पेलो...चोदो.. मुझे... बहुत अच्छा लग रह है.. चुदाने में..और चोदो मुझे.. मेरे पति देव.. मुझे कुछ हो रहा है... जैसे कुछ बाहर निकलने वाली है..."

"होजाने दो डियर... इसे climax या orgasm कहते है... तुम्हार मदन रस छूट रहा है.. छूटने दो...बहने दो..." कहते वह अपना शॉट्स और तेज कर दिए।अब मैं खलास होने वाली हूँ... उनके कुछ और धक्के के बाद में छूट गयी साथ ही साथ उनका अमृत भी मेरे अमृत भांड में भरने लगी..."

"आआह्ह्ह्हह्हह्हह्ह्ह्शह्ह्ह्ह... क्या चुदाई है डार्लिंग.. ममम.." कहते वह मेरे से चिपक गए और ढीला पड गए। मैं भी उनके नीचे निढाल पड़ी।

मेरे पति भी थक कर मेरे ऊपर गिरे और हमें मालूम ही नहीं की हम कितने गहरी नींद में थे। फिर आँख खुली तो सवेरा होगया था।

उस रात तो उन्होंने एक ही बार किये... लेकिन दूसरी रात वह एक बार मुझे कुतिया बनाकर और एक बार मुझे अपने ऊपर चढ़ाकर चोदे..मुझे तो खूब मजा आया! वह किस्सा अगले एपिसोड में.....

तो दोस्तों यह थी मेरी सुहाग रातों में पहली रात का किस्सा.. आशा करती हूँ की मेर सुहागरात की चुदाई आपको पसंद आयी होगी प्लीज आप अपना कमेंट देकर मेरा हौसला बढ़ाये।

आपकी चहेती

हेमा नन्दिनी।

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