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औलाद की चाह 052

Story Info
कुंवारी लड़की का मूसल लंड से कौमार्य भंग​.
3.5k words
4.17
309
1
0

Part 53 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 5-चौथा दिन-कुंवारी लड़की

Update-11

मूसल लंड से कौमार्य भंग​

गुरुजी ने थोड़ी देर तक अपनी आँखें बंद कर लीं। शायद वह अपने लंड से काजल के पैर को महसूस कर रहे थे । फिर उन्होंने ऐसा ही उसकी दायीं टाँग को अपनी गोद में उठाकर किया। फिर उन्होंने वह किया जिससे कोई भी औरत उत्तेजना से पागल हो जाती। उन्होंने काजल की दायीं टाँग ऊपर उठाई और उसका तलवा चाटने लगे।

काजल--आआईयईईईईईईईईई! गुरुजी प्लीज़! गुरुजी।

काजल उत्तेजना से सिसकी, जो की स्वाभाविक ही था। गुरुजी के तलवा चाटने से वह फ़र्श पर अपने नितंबों को इधर उधर हिलाने लगी, उसकी टाँग गुरुजी ने ऊपर उठा रखी थी और वह दृश्य देखने में बहुत अश्लील लग रहा था। मैंने अपनी नजरें झुका लीं। गुरुजी ने ऐसा ही दूसरे पैर के साथ भी किया और काजल की पैंटी ज़रूर गीली हो गयी होगी। उसने अपनी आँखें बंद ही रखी थीं और उसके चेहरे पर शरम और कामोत्तेजना के मिले जुले भाव आ रहे थे।

मैंने देखा की गुरुजी ने बड़ी चालाकी से काम किया और काजल को राहत दिए बिना उसे खड़ा कर दिया। काजल मुझसे नजरें नहीं मिला पाई और नीचे फ़र्श को देखने लगी। गुरुजी अब उसके पीछे खड़े हो गये। उनका खड़ा लंड काजल के उभरे हुए नितंबों में चुभ रहा था। गुरुजी ने अपनी बाँहें उसके पेट में लपेट दीं। अब वह गुरुजी की बाँहों के घेरे में थी। गुरुजी ने उसके कान में कुछ कहा जो मुझे सुनाई नहीं दिया। काजल आँखें बंद किए चुपचाप खड़ी रही और उसके होंठ कुछ बुदबुदा रहे थेl

शायद गुरुजी ने कोई मंत्र जपने को बोला था। अब पहली बार गुरुजी की अँगुलियाँ काजल के बदन के सबसे सेंसिटिव भाग में पहुँच गयीं। गुरुजी धीरे से काजल की पैंटी के ऊपर अँगुलियाँ फिरा रहे थे। काजल पीछे को गुरुजी के बदन पर झुक गयी और वह दृश्य देखकर मेरे निप्पल कड़क होकर ब्रा के कपड़े को छेदने लगे। असहज महसूस करके मुझे अपने ब्लाउज और ब्रा को एडजस्ट करना पड़ा।

तब तक गुरुजी ने काजल की ब्रा का हुक खोल दिया जिससे काजल असहज हो गयी और उसने हल्का-सा विरोध किया।

काजल--गुरुजी, प्लीज़!.मैं बहुत असहज महसूस!

गुरुजी--काजल बेटी, तुम अपने को शारीरिक रूप से लिंगा महाराज को समर्पित करने के लिए अपने मन को दृढ़ बनाओ. मुझसे क्या शरमाना? अगर रश्मि आंटी के यहाँ होने से तुम असहज महसूस कर रही हो तो बोलो?

गुरुजी की बाँहों में काजल थोड़ा हिली और उसकी ब्रा का हुक खुला होने से चूचियाँ उछल गयीं।

काजल--नहीं नहीं, रश्मि आंटी से मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही लेकिन!

काजल बोलते हुए अभी भी गुरुजी के बदन में झुकी हुई थी और जवाब देते हुए गुरुजी भी उसके नंगे पेट के निचले भाग में अँगुलियाँ फिरा रहे थे। मैं सोच रही थी, ये तो हद हो रही है।

गुरुजी--काजल बेटी, मैं कोई पहली बार 'दोष निवारण' नहीं कर रहा हूँ। तुम्हारी उमर ही कितनी है? 18? मेरे सामने तुम्हारी माँ की उमर की औरतों को 'दोष निवारण' के लिए अपने अंतर्वस्त्र उतारने पड़ते हैं। यही नियम है बेटी और अगर वह औरतें नहीं शरमाती हैं तो तुम क्यूँ असहज महसूस कर रही हो?

काजल--लेकिन।

काजल अभी भी कोई तर्क करना चाह रही थी, तभी अचानक गुरुजी ने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगे।

काजल--आउच।आआअहह।

अब माहौल बहुत गर्म हो गया था। काजल की ब्रा खुली हुई थी और उसकी पैंटी में एक मर्द का हाथ घुसा हुआ था, वह हाँफने लगी और उसकी टाँगें जवाब देने लगीं। गुरुजी बहुत चतुराई से एक-एक क़दम आगे बढ़ा रहे थे।

गुरुजी--काजल बेटी, अगर तुम्हें बहुत शरम आ रही है तो एक काम करो। अपनी आँखें बंद कर लो और अपनी योनि के ऊपर हथेलियाँ रख लो।

मैं हैरान हो गयी की गुरुजी काजल की पैंटी में हाथ डालकर उसे सलाह दे रहे हैं। काजल अभी भी आश्वस्त नहीं हुई थी, जो की उसकी उमर की लड़की के लिहाज से स्वाभाविक था।

काजल--नहीं गुरुजी, मैं नहीं कर सकती!

ऐसा कहते हुए उसने वह किया जिसकी अपेक्षा नहीं थी। वह गुरुजी की तरफ़ मुड़ी और शरम से उनकी चौड़ी छाती में मुँह छुपा लिया। गुरुजी को उसकी पैंटी से हाथ बाहर निकालना पड़ा और कुछ पल के लिए तो उन्हें भी समझ नहीं आया की कैसे रियेक्ट करें। लेकिन जल्दी हो वह संभल गये।

गुरुजी--काजल बेटी, शरमाओ मत। देखो तुम्हारी आंटी तुम्हें देखकर मुस्कुरा रही है।

मैं बिल्कुल भी नहीं मुस्कुरा रही थी। लेकिन जब गुरुजी और काजल, दोनों ने मुड़कर मुझे देखा तो मुझे मुस्कुराना पड़ा।

"हाँ काजल!"

मैं और कुछ नहीं बोल पाई और कहती भी क्या? "हाँ, हाँ, अपने अंतर्वस्त्र खोल दो और नंगी हो जाओ", ख़ुद एक औरत होते हुए मैं उस लड़की से ऐसा कैसे कह सकती थी?

गुरुजी ने मेरी बात पूरी कर दी।

गुरुजी--अब तो तुम्हारी आंटी ने भी कह दिया है। अब तुम्हें शरमाना नहीं चाहिएl

ऐसा कहते हुए वह काजल से अलग हो गये। काजल सर झुकाए खड़ी थी उसकी ब्रा के हुक कांखों के नीचे लटक रहे थे और शरम से उसने अपनी छाती पर बाँहें आड़ी करके रखी हुई थीं।

गुरुजी--काजल बेटी, समय बर्बाद मत करो। अपने अंतर्वस्त्र उतारो।

काजल चुपचाप खड़ी रही। गुरुजी ने सख़्त आवाज़ में आदेश दोहराया।

गुरुजी--मैंने कहा, बिल्कुल नंगी!

काजल ने धीरे-धीरे अपनी छाती से ब्रा हटानी शुरू की और जब उसने ब्रा फ़र्श में गिरा दी तो उसकी चूचियाँ अनार के दानों जैसी लग रही थीं। उसकी गोरी चूचियाँ कसी हुई थीं और उनमें गुलाबी रंग के निप्पल तने हुए खड़े थे। मैंने ख़्याल किया उनकी खूबसूरती देखकर गुरुजी रोमांचित लग रहे थे, 18 बरस की कमसिन लड़की की कसी हुई अनछुई चूचियों को देखकर कौन न होगा।

फिर काजल थोड़ा-सा झुकी और अपनी पैंटी उतारने लगी। किसी मर्द के लिए वह दृश्य बहुत ही लुभावना था, क्यूंकी जब भी हम औरतें ऐसे झुकती हैं तो हमारी चूचियाँ हवा में लटककर पेंडुलम की तरह इधर उधर डोलती हैं। मैं तो किसी औरत के सामने कपड़े बदलते समय भी ऐसे झुकने से बचने की कोशिश करती हूँ क्यूंकी मेरी बड़ी चूचियों के ऐसे लटकने से मुझे बड़ा अजीब लगता है। काजल उस पोज़ में बहुत सेक्सी लग रही थी और मैंने देखा गुरुजी के लंड ने कच्छे में तंबू-सा बना दिया है। अपने अंतर्वस्त्र उतारकर अब काजल पूरी नंगी हो गयी।

गुरुजी--जय लिंगा महाराज।

गुरुजी ने काजल को अपने आलिंगन में ले लिया। उनके छूने से काजल के नंगे बदन में कंपन हो रहा था जो की मुझे साफ़ दिख रहा था। फिर गुरुजी नीचे झुके और काजल के गोरे पेट में मुँह रगड़ने लगे। काजल हल्के से सिसकारियाँ लेने लगी। गुरुजी अब कामोत्तेजित हो उठे थे और काजल के चिकने सपाट पेट को हर जगह चाटने लगे। उनके हाथ काजल के नग्न नितंबों को सहला और दबा रहे थे। काजल भी अब धीरे-धीरे गुरुजी की कामेच्छाओं की प्रतिक्रिया देने लगी। उसने गुरुजी के सर के ऊपर अपने हाथ रख दिए, शायद सहारे के लिएl

अपने सामने ये नग्न कामदृश्य देखकर मेरी आँखें बाहर निकल आयीं। गुरुजी के लंबे चौड़े बदन में सिर्फ़ एक छोटा-सा कच्छा था जिसे उनका खड़ा लंड ताने हुए था और कमसिन कली काजल के बदन में कपड़े का एक धागा भी नहीं था। अब गुरुजी ने काजल की नाभि में जीभ डालकर गोल घुमाना शुरू किया, काजल उत्तेजना से कसमसाने लगी। मेरे लिए तो ये ना भूलने वाला अनुभव था। मैंने कभी अपनी आँखों के सामने ऐसी कामलीला नहीं देखी थी। फिर गुरुजी खड़े हो गये और उन्होंने अपना ध्यान काजल की चूचियों पर लगाया। उसकी चूचियाँ उनकी आँखों के सामने और होठों के बिल्कुल पास थीं। कुछ पल तक गुरुजी खुले मुँह से उसकी कसी हुई नुकीली चूचियों को देखते रहे। फिर उन्होंने अपना मुँह एक चूची पर लगा दिया और निप्पल को चूसने लगे और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को दबाने लगे।

काजल--आआअहह।ऊऊऊओह! उम्म्म्मममम! गुरुजिइइईईईईईईईईईईई!

गुरुजी के चूची को चूसने और दबाने से काजल बहुत कामोत्तेजित हो गयी और ज़ोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी। गुरुजी ने काजल की हिलती हुई रसीली चूचियों का अपने मुँह, होठों, जीभ और हाथों से भरपूर आनंद लिया। ऐसा कुछ देर तक चलता रहा और अब काजल हाँफने लगी थी। गुरुजी ने काजल को सांस लेने का मौका नहीं दिया और दाएँ हाथ से उसके गोल मुलायम नितंबों को मसलने लगे। गुरुजी के मसलने से काजल के गोरे नितंब लाल हो गये। उसके बाद उन्होंने फिर से काजल को आलिंगन में ले लिया, शायद कामोत्तेजना से उनकी ख़ुद की साँसें उखड़ गयी थीं। उन्होंने काजल को कस कर आलिंगन किया हुआ था और उसकी चूचियाँ उनकी छाती से दब गयीं। काजल ने भी गुरुजी की पीठ में आलिंगन किया हुआ था और गुरुजी के हाथ उसकी पीठ और नितंबों को सहला रहे थे।

गुरुजी ने काजल के नितंबों को पकड़कर अपनी तरफ़ खींचा और उसकी चूत को अपने कच्छे में खड़े लंड से सटा दिया। कुछ पल बाद गुरुजी ने काजल को धीरे से फ़र्श में सफेद साड़ी के ऊपर लिटा दिया और ख़ुद भी उसके ऊपर लेट गये। अब गुरुजी काजल के होठों को चूमने लगे और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगे, साथ ही साथ उसकी चूचियों को हाथों से पकड़कर मसल दे रहे थे। अब मुझे बेचैनी होने लगी थी क्यूंकी गुरुजी इन सबमें बहुत समय लगा रहे थे और मेरी हालत खराब होने लगी थी। मेरा मन कर रहा था कि टाँगें फैलाकर अपनी चूत खुजलाऊँ। गुरुजी को काजल की चूचियों से खेलते देखकर मेरा मन भी ब्लाउज खोलकर अपनी चूचियों को आज़ाद कर देने का हो रहा था।

काजल--आअहह! ओइईई! माआअ!

शायद गुरुजी ने काजल की चूचियों पर दाँत काट दिया थाl मैं सोचने लगी अगर किसी मर्द के नीचे इतनी सुंदर लड़की नंगी लेटी हो तो ऐसा मौका भला कौन छोड़ेगाl गुरुजी अब नीचे की ओर खिसकने लगेl मैंने देखा काजल की चूचियाँ गुरुजी की लार से गीली होकर चमक रही थीं और उसके निप्पल एकदम कड़क होकर तने हुए थेl वैसे निप्पल तो मेरे भी इतने ही कड़क हो गये थेl अब गुरुजी ने काजल की चूत में मुँह लगा दिया और जीभ से चूत की दरार को कुरेदने लगेl

काजल -- उफफफफफ्फ़! नहियीईईईईईईईईई! प्लेआसईईईईईईईई!

पहली बार अनछुई चूत में जीभ लगते ही काजल कसमसाने लगी। गुरुजी ने दोनों हाथों से उसे कस कर पकड़ा और उसकी चूत को और वहाँ पर के छोटे-छोटे बालों को चाटने लगे। उन्होंने चाट चाटकर उसकी चूत के आस पास सब जगह गीला कर दिया और फिर उसकी चूत की दरार के अंदर जीभ घुसा दी। काजल से बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था और वह साड़ी के ऊपर लेटे हुए अपना सर और बदन इधर उधर हिलाने लगी। काजल अब बहुत ज़ोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी और गुरुजी के मुँह में अपनी गांड को ऊपर उछाल रही थी। अब गुरुजी उसकी दूधिया जांघों को चाटने लगे। मैंने देखा काजल का चूतरस उसकी जांघों के अंदरूनी भाग में लगा हुआ था।

अब गुरुजी ने अपना कच्छा उतार कर फ़र्श में फेंक दिया जो मेरे पास आकर गिरा। उस नारंगी रंग के कच्छे में मुझे गीले धब्बे दिखे जो की गुरुजी के प्री-कम के थे। उनके तने हुए लंड की मोटाई देखकर मेरी सांस रुक गयी।

हे भगवान! कितना मोटा है! ये तो लंड नहीं मूसल है मूसल! मैंने मन ही मन कहा। काजल अगर देख लेती तो बेहोश हो जाती। मैं सोचने लगी की गुरुजी की कोई पत्नी नहीं है वरना हर रात को इस मस्त लंड से मज़े लेती। मैं गुरुजी के लंड से नज़रें नहीं हटा पा रही थी, इतना बड़ा और मोटा था, कम से कम 8--9 इंच लंबा होगा। आश्रम आने से पहले मैंने सिर्फ़ अपने पति का तना हुआ लंड देखा था और यहाँ आने के बाद दो तीन लंड देखे और महसूस किए थे लेकिन उन सबमें गुरुजी का ही सबसे बढ़िया था। काजल आँखें बंद किए हुए लेटी थी इसलिए उसने गुरुजी का लंड नहीं देखा। एक कुँवारी लड़की नहीं जान सकती की मुझ जैसी शादीशुदा औरत जो की कई बार लंड ले चुकी है, के लिए इस मूसल जैसे लंड के क्या मायने हैं। गुरुजी के लंड को देखकर मैं स्वतः ही अपने सूख चुके होठों में जीभ फिराने लगी, लेकिन जब मुझे ध्यान आया तो अपनी बेशर्मी पर मुझे बहुत शरम आई. मुझे डर था कि काजल की कुँवारी चूत को तो गुरुजी का लंड फाड़ ही डालेगा।

अब गुरुजी ने काजल की टाँगें फैला दीं और उनके बीच में आकर अपने कंधों पर उसकी टाँगें ऊपर उठा ली। उनकी इस हरकत से काजल को अपनी आँखें खोलनी पड़ी। उसने गुरुजी को देखा और शरम से तुरंत नज़रें झुका ली। गुरुजी ने एक बार उसके निपल्स को दबाया और मरोड़ा। उसके बाद उन्होंने अपने तने हुए लंड को काजल की चूत के होठों के बीच छेद पर लगाया और एक धक्का दिया।

काजल--ओह! आआआआअहह! ओओओईईईईईईईईईईईईईईईईइ! माआआआ।

काजल मुँह खोलकर ज़ोर से चीखी और कामोत्तेजना में उसने गुरुजी के सर के बाल पकड़ लिए. काजल की कुँवारी चूत बहुत टाइट थी और गुरुजी का मूसल अंदर नहीं घुस पाया। अब गुरुजी ने एक हाथ से उसकी चूत के होठों को फैलाया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़कर अंदर को धक्का दिया। इस बार काजल और भी ज़ोर से चीखी। गुरुजी ने एक बार बंद दरवाज़े की ओर देखा और फिर काजल के होठों के ऊपर अपने होंठ रखकर उसका मुँह बंद कर दिया। मैं समझ रही थी की इस कुँवारी कमसिन लड़की के लिए ये दर्दभरा अनुभव है, ख़ासकर इसलिए क्यूंकी उसकी टाइट चूत के छेद में गुरुजी का मूसल घुसने की कोशिश कर रहा था। बल्कि मुझे तो लग रहा था कि अनुभवी औरतों को भी गुरुजी के मूसल को अपनी चूत में लेने में कठिनाई होगी। गुरुजी इस बात का ध्यान रख रहे थे की काजल को ज़्यादा दर्द ना हो और धीरे-धीरे धक्के लगा रहे थे। वह बार-बार काजल का चुंबन ले रहे थे और उसे और ज़्यादा कामोत्तेजित करने के लिए उसके निपल्स को भी मरोड़ रहे थे।

काजल--आआहह! ओइईईईईई। माआ। उफफफफफफफ्फ़!

काजल गुरुजी के भारी बदन के नीचे दबी हुई दर्द और कामोत्तेजना से कसमसा रही थी। यज्ञ की अग्नि में उनके एक दूसरे से चिपके हुए नंगे बदन अलौकिक लग रहे थे। उस दृश्य को देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गयी थी। वह दोनों पसीने से लथपथ हो गये थे। अब गुरुजी ने तेज धक्के लगाने शुरू किए और काजल ज़ोर से सिसकारियाँ लेती रही और दर्द होने पर चिल्ला भी रही थी। मैंने काजल के नीचे सफेद साड़ी में खून की कुछ बूंदे देखी जो की इस बात का सबूत थी की अब काजल कुँवारी नहीं रही। अब गुरुजी उसके चिल्लाने पर ध्यान ना देकर अपने मोटे लंड को ज़्यादा से ज़्यादा उसकी चूत के अंदर घुसाने में लगे थे। मैं महसूस कर सकती थी की इतने मोटे लंड को अपनी टाइट चूत में घुसने से काजल को बहुत दर्द हो रहा होगा। कुछ देर बाद काजल की चीखें कम हो गयीं और सिसकारियाँ बढ़ गयीं, लग रहा था कि अब वह भी चुदाई का मज़ा लेने लगी है। सफेद साड़ी में खून के लाल धब्बे लग गये थे और गुरुजी काजल की चूत में धक्के लगाए जा रहे थे। पहली बार मैं अपनी आँखों के सामने चुदाई होते देख रही थी और मंत्रमुग्ध हो गयी थी। अब गुरुजी ने अपने होंठ काजल के होठों से हटा लिए थे क्यूंकी वह भी चुदाई का मज़ा ले रही थी और उसको दर्द भी कम हो गया था। काजल की चूत में धक्के लगाते हुए गुरुजी ने अपनी हथेलियों में काजल की चूचियों को पकड़ रखा था और उन्हें ज़ोर से मसल रहे थे।

अब पहली बार गुरुजी हाँफने लगे थे और मुझे अंदाज़ा लगा की वह काजल की चूत में वीर्य गिरा रहे हैं। काजल कामोत्तेजना से सिसक रही थी। मुझे अपने पति के साथ पहली रात याद आई और उस रात को मुझे भी ऐसा ही दर्द, आँसू, कामोत्तेजना और कामानंद का अनुभव हुआ था जैसा अभी काजल को हो रहा था। लेकिन सच कहूँ तो मेरे पति का लंड 6 इंच था और गुरुजी के मूसल से उसकी कोई तुलना नहीं थी। थकान से धीरे-धीरे उन दोनों के पसीने से भीगे हुए बदन शिथिल पड़ गये। गुरुजी काजल के नंगे बदन के ऊपर लेटे हुए थे और उन दोनों की आँखें बंद थीं और रुक-रुक कर साँसें चल रही थीं।

बार बार मेरा ध्यान गुरुजी के लंड पर चला जा रहा था। काजल की चूत के छेद में जब वह घुसने वाला था तो कितना कड़ा, बड़ा और मोटा लग रहा था जैसे कोई रॉड हो और उसका लाल रंग का सुपाड़ा इतना बड़ा था कि मेरी नज़र उस पर से हट ही नहीं रही थी। मैं इतनी गरम हो गयी थी की मेरी पैंटी चूतरस से भीग गयी थी और मेरी चूचियाँ ब्लाउज के अंदर तन गयी थीं।

मैंने देखा की काजल और गुरुजी की आँखें अभी बंद हैं, वैसे काजल अभी भी हल्के-हल्के सिसक रही थी, मैंने जल्दी से साड़ी के ऊपर से अपनी चूत खुजा दी, वैसे तो मेरा मन चूत में अंगुली करने का हो रहा था। उसके बाद मैंने अपनी साड़ी के पल्लू के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज और ब्रा को थोड़ा एडजस्ट कर लिया। मेरी भी इच्छा होने लगी की काश गुरुजी का मूसल मेरी चूत में भी जाए. मैं शादीशुदा थी और मुझे ऐसी लालसाओं से दूर रहना चाहिए था। मैंने मन ही मन अपने को फटकार लगाई की ऐसे गंदे विचार मेरे मन में क्यूँ आए. मैं सिर्फ़ अपने शारीरिक सुख के बारे में सोच रही थी जबकि आश्रम आने का मेरा उद्देश्य गर्भधारण ना कर पाने का उपचार करवाना था। मैं अपने पति राजेश से ऐसी बेईमानी कैसे कर सकती हूँ जबकि वह मुझे बहुत प्यार करते हैं। आश्रम में अब तक जो भी मेरे साथ हुआ था वह मेरे उपचार का हिस्सा था। हाँ ये बात सच है कि उस दौरान मैंने बहुत बेशर्मों की तरह व्यवहार किया था और कुछ मर्दों ने मेरे बदन से छेड़छाड़ की थी। लेकिन वह सब कुछ गुरुजी के निर्देशानुसार हुआ था। एक ग़लती ज़रूर मेरी थी, विकास की पर्सनालिटी और फिज़ीक से मैं बहक गयी थी और गुरुजी के निर्देशों से भटक गयी थी। मैंने अपने मन में ये सब सोचा और अपनी कामेच्छा को काबू में करने की कोशिश की।

अब गुरुजी काजल के बदन के ऊपर से उठ गये। मैंने देखा मुरझाई हुई अवस्था में भी उनका लंड केले के जैसे लटक रहा है। मैं उसी को ग़ौर से देख रही थी तभी गुरुजी से मेरी नज़रें मिली और शरम से मैंने तुरंत अपनी आँखें नीचे कर ली। क्या गुरुजी ने मुझे अपने मूसल को घूरते हुए पकड़ लिया था? अब गुरुजी ने अपनी नंगी गांड मेरी तरफ़ करके लिंगा महाराज और यज्ञ की अग्नि को प्रणाम किया। काजल भी उठने की कोशिश कर रही थी। मुझे लगा उसे मेरी मदद की ज़रूरत है। वह सफेद साड़ी में नंगी लेटी हुई थी। गुरुजी का वीर्य उसकी चूत से बाहर निकालकर जांघों में बह रहा था। मैं एक सफेद कपड़ा लेकर उसके पास गयी।

गुरुजी--काजल बेटी अब तुम शुद्ध हो। तुम्हारा 'दोष निवारण' हो चुका है। अब तुम्हें रहस्य पता चल चुका है इसलिए मेरे ख़्याल से अब तुम्हारा ध्यान नहीं भटकेगा।

काजल कोई जवाब देने की स्थिति में नहीं थी क्यूंकी उसे इस सच्चाई से पार पाने में समय लगना था कि थोड़ी देर पहले वह गुरुजी के हाथों अपना कौमार्य खो चुकी है। मैंने उसकी चूचियाँ, होंठ और पेट पोंछ दिए. गुरुजी ने मुझे गरम पानी का एक कटोरा दिया और मैंने उससे काजल की चूत साफ़ कर दी, जो की उसके चूतरस, खून और गुरुजी के वीर्य से सनी हुई थी। उसके बाद मैंने उसकी जाँघें और चेहरा भी पोंछ दिया। काजल को साफ़ करते हुए मुझे उन दोनों के पसीने और कामरस की मिली जुली गंध आ रही थी। अब काजल कुछ ताज़गी महसूस कर रही थी।

गुरुजी--रश्मि, इसकी योनि में ट्यूब लगा दो इससे दर्द चला जाएगा और फिर ये गोली खिला देना।

ऐसा कहते हुए गुरुजी ने मुझे एक ट्यूब और एक गोली दे दी। मैंने उसकी चूत में ट्यूब से निकालकर जेल लगा दिया। गुरुजी की दवाई से कुछ ही मिनट्स में काजल का दर्द चला गया। मैंने उसे खड़े होने में मदद की। गुरुजी कपड़े पहन रहे थे और मैंने जल्दी से उनके मूसल की आख़िरी झलक देख ली। काजल को अब अपनी नग्नता से कोई मतलब नहीं था। हमारे सामने पूरी नंगी होकर भी उसे कोई फरक नहीं पड़ रहा था। लेकिन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था क्यूंकी गुरुजी और मैं कपड़ों में थे। मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उठाई और उसे पहनाने की कोशिश की ताकि उसके गुप्तांग ढक जाएँ।

काजल--आंटी, प्लीज़ ।

उसने अपने अंतर्वस्त्र पहनने से मना कर दिया, क्यूंकी पहली बार संभोग करने से उसके गुप्तांगों में जलन हो रही होगी।

"लेकिन काजल, इसे तो पहन लो। अभी सब लोग यहाँ आ जाएँगे।"

ऐसा कहते हुए मैंने उसकी ब्रा की तरफ़ इशारा किया लेकिन उसने सर हिलाकर मना कर दिया। मैं समझ रही थी की वह थककर चूर हो चुकी है।

काजल--आंटी, मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा हैl उफफफफ्फ़।

मैंने सलवार कमीज़ पहनने में उसकी मदद की। गुरुजी ने फ़र्श से सफेद साड़ी उठाकर वहाँ पर साफ़ कर दिया और अब कोई नहीं बता सकता था कि कुछ देर पहले यहाँ क्या हुआ था।

यज्ञ की समाप्ति पर घर के सभी लोगों ने प्रसाद गृहण किया। गुप्ताजी शराब पिया हुआ था लेकिन होश में था। शुक्र था कि उसने मुझसे कोई बदतमीज़ी नहीं की। नंदिनी बहुत खुश लग रही थी और हो भी क्यू ना। मैं अंदाज़ा लगा सकती थी की जब यहाँ काजल की चुदाई हो रही थी तो नीचे किसी कमरे में नंदिनी और समीर क्या कर रहे होंगे।

कहानी जारी रहेगी

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