Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereइस के साथ ही नीलोफर ने शाज़िया को खुदा हाफ़िज़ कह कर अपने घर की राह लेने का इरादा किया तो शाज़िया बोली "यार जाने से पहले ज़ाहिद भाई के साथ अपनी चुदाई की मूवी तो व्हाट्सअप के ज़रिए मुझे ट्रान्स्फर कर दो प्लीज़।"
"लगता है भाई के लंड ने मेरी बानो की फुद्दि को आज कुछ ज़्यादा ही गरमा दिया है" नीलोफर ने हंसते हुए अपने पर्स से मोबाइल निकाल कर मूवी को शाज़िया के मोबाइल पर सेंड करते हुए कहा।
"बकवास ना करो बहन चोद" शाज़िया ने भी हँसते हुए नीलोफर को जवाब दिया।
"बहन चोद में तो नही, बल्कि जल्द ही तुम्हारा भाई ज़ाहिद बनने वाला है जानू" नीलोफर ने तर्कि ब तर्कि अपनी सहेली की प्यार भरी गाली का जवाब देते हुए शाज़िया से कहा।
नीलोफर के जवाब पर दोनों सहेलियाँ एक कहकहा लगा कर हँसने लगी।
इस के साथ ही नीलोफर वापिस अपने घर जाने के लिए शाज़िया के घर से बाहर चली आई।
नीलोफर के घर से निकल कर रिक्शा में बैठते साथ ही उस ने ज़ाहिद को टेक्स्ट मसेज कर दिया। कि वह उस के घर से नाकाम हो कर वापिस अपने घर जा रही है।
ज़ाहिद तो नीलोफर की अपनी बहन शाज़िया के साथ मुलाकात के बाद बहुत उम्मीद लगा कर इस इंतजार में डॉक्टर के क्लिनिक में बैठा था। कि नीलोफर आज किसी ना किसी तरह शाज़िया को उस के साथ चुदाई करने पर क़ायल कर ले गी।
मगर नीलोफर के ना के मेसेज को पर कर ज़ाहिद को बहुत मायूसी हुई।
ज़ाहिद की अम्मी के दांतो की सफाई का काम ख़तम होने में अभी 10, 15 मिनट्स बाकी थे। इसीलिए ज़ाहिद वेटिंग रूम में बैठ कर अपनी अम्मी के आने का इंतिज़ार करने लगा।
उधर दूसरी तरफ नीलोफर के जाने के बाद शाज़िया ड्राइंग रूम से चाय के बर्तन समेट कर अपने कमरे में चली आई।
अब अपने कमरे में वापिस लोटने वाली शाज़िया वह नहीं रही थी। जो आज सुबह अपनी मोहल्ले वाली सहेली की शादी में जाने से पहले थी।
नीलोफर से आज की मुलाकात ने शाज़िया की सोच और दिमाग़ को कुछ ही घंटो में मुकम्मल तौर पर बदल कर रख दिया था।
शाज़िया के जिस्म पर अभी तक नीलोफर के हाथों, मुँह और अपने भाई के लंड की मस्ती के सरूर छाया हुआ था।
अपने कमरे में आते ही शाज़िया अपने बेड पर बैठ गई और अपने मोबाइल को हाथ में ले कर नीलोफर की भेजी हुई मूवी को दुबारा से ऑन कर दिया।
मूवी में नीलोफर की चुदाई करते अपने भाई के लंड को बार-बार देख कर शाज़िया की चूत की तरह उस की नज़रों की प्यास भी बुझने का नाम नहीं ले रही थी।
अपने मोबाइल फोन की स्क्रीन पर नज़रे जमाए जब एक ऐसा सीन शाज़िया की नज़ररों के सामने आया। जिस में नीलोफर ज़ाहिद की पॅंट में से वज़िया तौर पर बाहर झलकते हुए उस के लंबे मोटे लंड को अपने हाथों में थामे बैठी है।
तो अपने भाई के बड़े लंड के इस दिल फरेब नज़ारे को देख कर शाज़िया की पहले से पानी छोड़ती फुद्दि में आग शिद्दत इख्तियार कर गई.और ये सीन देखते-देखते शाज़िया मोबाइल की स्क्रीन को पॉज़ करते हुए शाज़िया अपनी सोचो में गुम हो गई।
नीलोफर ने आज शाज़िया को ऐसी राह दिखा दी थी। जिस की शाज़िया को शिद्दत से तलाश तो थी। मगर आज से पहले शाज़िया इस किसम के ख्यालात को अपने ज़हन में लाना भी गुनाह समझती थी।
लेकिन इस के साथ-साथ हक़ीकत ये ही थी। कि शाज़िया को अपनी मोटे लिप्स वाली गरम और प्यासी फुद्दि को चुदवाने के लिए एक ऐसे ही मोटे सख़्त और जवान लंड वाले मर्द की तलाश थी।जो प्यार से उसे चोदने के साथ-साथ उस की इज़्ज़त का ख्याल भी रखे और उसे मुसीबतो से भी बचाए।
इन सब बातों के लिए तलाक़ के बाद से अब तक शाज़िया की निगाहों में कोई मर्द नहीं गुज़रा था।
मगर आज नीलोफर ने शाज़िया को दुबारा उस के अपने भाई के लंड का दीदार करवा कर शाज़िया की निगाह को उस के अपने भाई की तरफ मोड़ दिया था।
शाज़िया अपने भाई के लंड की तस्वीर को देख कर सोचे जा रही थी।कि मेरा भाई ज़ाहिद एक सेहतमंद और तंदुरुस्त जवान मर्द है।
काफ़ी सारे मर्दो की मुक़ाबले उस के पास एक बहुत ही बड़ा, मोटा और लोहे की तरह सख़्त लंड है।उस का लंड भी तो किसी ना किसी औरत की चूत को चोदने के लिए ही तो है।
ज़ाहिद भाई जिस औरत की चूत में भी अपना लंड डाले गा। तो वह औरत भी तो आख़िर कर किसी ना किसी की बाहें ही हो गी।
शाज़िया सोचने लगी कि पता नहीं मेरी निगहों पर अब तक क्यों परदा पड़ा था।
ज़ाहिद मेरा भाई है तो क्या हुआ। अगर मेरा भाई किसी और की बहेन को चोद सकता है तो फिर अपनी बहेन की चूत क्यों नहीं।वैसे भी चूत पर कहाँ लिखा होता है कि ये बहन की चूत है या किसी और की।
ये ही सोचते-सोचते शाज़िया के ज़हन में एक ख्याल आया।
शाज़िया अपने कमरे से निकल कर अपनी अम्मी के कमरे में गई. शाज़िया ने अपनी अम्मी की अलमारी से नीलोफर के हाथों भिजवाया हुआ अपने भाई का ब्रेज़ियर और पैंटी का गिफ्ट उठा कर
तेज़ी से अपने कमरे में दुबारा आई और कमरे के दरवाज़े की कुण्डी लगा दी।
कमरे में आते ही शाज़िया ने एक-एक कर अपने सारे कपड़े उतारे और अपने भाई के दिए हुए ब्रेज़ियर और पैंटी बॅग से निकाल कर पहन ली।
अपने भाई के गिफ्ट को पहन कर शाज़िया ने कमरे के शीशे के सामने खड़े हो कर अपने भारी जिस्म का जायज़ा लिया। तो वह अपने बड़े-बड़े मोटे मम्मे और अपनी भारी कूल्हे को अपने भाई के दिए हुए तोहफे में लिपटा देख कर मस्ती से खुद भी शर्मा गई।
शाज़िया को ना जाने क्या सूझी। कि उस ने पास ही रखा हुआ अपना मोबाइल फोन उठाया।और भाई के दिए हुए ब्रेज़ियर और पैंटी में मलबूस अपने नीम नंगे जिस्म की दो तीन "सेल्फी" तस्वीरे खैंच लीं। शाज़िया का पूरा जिस्म ऐसा करते हुए कांप रहा था।
(आज कल अपने मोबाइल फोन पर अपनी फोटो खुद ही खैंचने के अमल के लिए लोग सेल्फी की टर्म यूज़ करते हैं।)
शीशे में अपने जिस्म को अपने भाई के दिए हुए तोहफे में लिपटा हुआ देख-देख कर शाज़िया की चूत ना सिर्फ़ गरम हो चुकी थी। बल्कि गर्मी की शिद्दत से शाज़िया की फुद्दि का पानी उस की चूत से बाहर निकल कर शाज़िया की रानो को भी भिगो रहा था।
नीलोफर की बातें बार-बार शाज़िया के दिमाग़ में गूँज रही थी। कि शाज़िया तुम्हारी चूत और जिस्म में एक आग सुलग रही है।शाज़िया तुम्हारी चूत तो एक प्यासी ज़मीन की मानद है। जिस को सराब होने के लिए एक भर पूर मर्द का साथ चाहिए.जो तुम को अपने सीने से लगा कर तुम्हारे अरमानो और जज़्बात को ठंडा कर सके और वह मर्द कोई और नहीं बल्कि तुम्हारा अपना सगा भाई ज़ाहिद है, शाज़िया।
नीलोफर की बातों और हरकत को याद कर के शाज़िया इतनी गरम हुई.कि उस ने अपने धोने वाले कपड़ों की टोकरी में से अपनी वह शलवार निकाली। जिस पर उस के भाई ज़ाहिद ने अपनी मानी खारिज की थी।
ज़ाहिद के लंड का पानी शाज़िया की शलवार पर जमने की वजह से शलवार का चूत वाला हिस्सा सख़्त हो कर अकड चुका था।
शाज़िया ने अपनी शलवार को हाथ में पकड़ कर अपनी पैंटी को अपनी चूत से थोड़ा हटाया।और अपने भाई की सुखी हुई मनी को अपनी नंगी फुद्दि पर रगड कर अपने भाई के लंड के पानी का मज़ा लेने लगी।
अपनी शलवार को अपने भाई का भीगा लंड समझ कर मज़ा लेते-लेते शाज़िया को एक दम झटका लगा और वह फारिग हो गई।
फारिग होते ही उस की फुद्दि ने पानी कर फव्वारा निकाला। जो उस की टाँगों से बैठा हुआ उस की शलवार में जमी उस के भाई ज़ाहिद की खुशक मनी से मिलाप कराने लगी।
इस से पहले कि शाज़िया कुछ और कर पाती। कि घर का मेन गेट खुलने की आवाज़ शाज़िया के कानो में पड़ी।
शाज़िया समझ गई कि उस की अम्मी और भाई ज़ाहिद वापिस आ चुके हैं। इसीलिए शाज़िया ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और किचन में जा कर ऐसे काम काज में मसरूफ़ हो गई. जैसे कुछ हुआ ही नही।
थोड़ी देर बाद जब शाज़िया ने अपनी अम्मी को अकेले ही घर में एंटर होते देखा।तो वह समझ गई कि उस का भाई ज़ाहिद अम्मी को बाहर की उतार कर जा चुका है।
दूसरे दिन सुबह दस बजे शाज़िया की रावलपिंडी से कराची की फ्लाइट बुक थी।
शाज़िया ने कुछ दिन पहले ही अपनी छोटी बहन से मिलने कराची जाने का प्रोग्राम बनाया हुआ था और उस का इरादा था कि वह एक हफ़्ता अपनी बहन के पास गुज़ार कर वापिस चली आए गी।
इसीलिए उस रात शाज़िया घर के सारे काम निपटा कर अपने कमरे में चली आई.और सुबह कराची जाने की तैयारी में मसरूफ़ हो गई।
अगले दिन ज़ाहिद और उस की अम्मी रज़िया बीबी शाज़िया को एरपोर्ट छोड़ने गये।
एरपोर्ट पर अपना बोरडिंग पास ले कर शाज़िया जब एरपोर्ट के वेटिंग लाउन्ज में पहुँची। तो उस के दिल में एक प्लान आया।
अपने प्लान पर अमल करते हुए शाज़िया ने अपने मोबाइल फोन में दुबारा उस ही नंबर की सिम डाल ली। जिस को वह "साजिदा" बन कर इस्तेमाल करते हुए पिछले कुछ महीने पहले तक अपने ही भाई ज़ाहिद (रिज़वान) से चाट्टिंग करती रही थी।
मोबाइल में सिम डालते वक्त शाज़िया के हाथ कांप रहे थे और उस का दिल बहुत ज़ोर-ज़ोर से धक-धक कर रहा था।
अपने हाथ में फोन थामे शाज़िया ने एक लम्हे को कुछ सोचा।
और फिर उस ने अपने फोन की फोटो गॅलरी से अपने भाई के तोहफे में मलबूस अपनी सेल्फी को सेलेक्ट कर के व्हाट्सअप के ज़रिए उस तस्वीर को अपने भाई के (रिज़वान) वाले नंबर पर सेंड कर दिया।
उधर दूसरी तरफ अपनी बहन शाज़िया को एरपोर्ट पर-सी ऑफ करने के बाद ज़ाहिद अपनी अम्मी को कार में बिठा कर बाथ रूम यूज़ करने चला आया।
ज्यों ही ज़ाहिद एरपोर्ट के बाथ रूम में घुसा । तो उस को अपने खास नंबर वाले मोबाइल पर मेसेज आने की आवाज़ सुनाई दी।
ज़ाहिद ने जल्दी से अपनी पॉकेट से फोन निकाल कर चेक किया।तो उसे साजिदा का नाम मेसेज पर लिखा नज़र आया।
कल नीलोफर की बात सुन कर ज़ाहिद के दिल में अपनी बहन शाज़िया के मुतलक कोई भी खुश फहमी बाकी नहीं रही थी।
इसीलिए अब व्हाट्सअप पर साजिदा के नाम का मेसेज देख कर ज़ाहिद को बहुत हैरानी हुई।
उस ने जल्दी से व्हाट्सअप को अपडेट कर के मसेज चेक किया। तो नीलोफर के ज़रिए साजिदा (शाज़िया) को भिजवाए हुए ब्रेज़ियर और पैंटी वाले तोहफे में मलबूस अपनी बहन शाज़िया की नीम नंगी फोटो देख कर ज़ाहिद का मुँह खुला का खुला रह गया।
(वो कहते हैं ना कि "आक्षन स्पीक्स लौढ़र देन वर्ड्स।" (Action speaks louder than words.))
बिल्कुल इसी तरह शाज़िया की साजिदा के नाम से रिज़वान (ज़ाहिद) के नंबर पर भेजी गई इस तस्वीर ने ज़ाहिद को बिना कुछ कहे सुने भी सब कुछ बता दिया।
क्यों कि "कुछ भी ना कहा और कह भी गये" वाले गाने की तरह इस एक फोटो में शाज़िया की तरफ से अपने भाई ज़ाहिद को अपनी रज़ा मंदी का एक निहायत खुला पेगाम पोषीदा था।
अपनी बहन की रज़ा मंदी के मेसेज को देख कर ज़ाहिद का दिल खुशी से झूम उठा।
ज़ाहिद ने जल्दी से टाइम चेक किया। तो उसे अंदाज़ा हो गया कि इस वक्त तक शाज़िया जहाज़ में जा चुकी हो गी और कुछ देर बाद उस का ऐरो प्लेन कराची के लिए रवाना हो जाए गा।
ज़ाहिद का दिल चाहने लगा कि किसी तरह वह उड़ के जाए और अपनी बहन के जहाज़ को उड़ने से रोक ले। मगर ज़ाहिद जानता था कि अब ये बात मुमकिन नहीं है।
इसीलिए अपने दिल में उठी हुई अपनी इस ख्वाहिश को उस ने दिल में ही दबा कर सबर का घूँट पी लिया।
अपनी बहन की आधी नंगी तस्वीर देख कर ज़ाहिद का लंड भी उस की पॅंट में खड़ा हो कर उसे अपनी बहन की चूत में घुस जाने की फरमाइश कर रहा था।
ज़ाहिद ने अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर अपने मोटे बड़े लंड को पॅंट से बाहर निकाला और उस ने हाथ में पकड़े हुए अपने मोबाइल से अपने फुल हाइयर हुए लंड की फोटो खैंच ली।
शाज़िया की फोटो को देख कर ज़ाहिद का लंड इतना सख़्त हुआ। कि लंड की इस सख्ती की वजह से ज़ाहिद के लिए पेशाब करना मुहाल हो गया।
ज़ाहिद ने बहुत मुश्किल से अपने लंड को तसल्ली दे कर उस के जोश थोड़ा ठंडा किया। तो फिर कहीं जा कर वह पेशाब करने के काबिल हो सका।
पेशाब से फारिग होते ही ज़ाहिद ने फॉरन शाज़िया के मेसेज का रिप्लाइ किया, "साजिदा मुझे बहुत खुशी है कि तुम ने मेरा भेजा हुआ तोहफा कबूल किया, तुम पर ये ब्रेजियर और पैंटी बहुत सज रही हैं मेरी बहन, तुम्हारी भेजी हुई तस्वीर की वजह से मेरे लंड की जो हालत हुई है, उस की एक झलक तो इस फोटो में भेजी है, मगर अपने लंड की प्यास बुझाने के लिए मुझे अब तुम्हारी वापसी का बहुत शिद्दत से इंतज़ार रहे गा मेरी जान" ।
ये मेसेज लिख कर ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया को उस के साजिदा वाले नंबर पर रिप्लाइ कर दिया।
साथ ही साथ ज़ाहिद ने कुछ मिनट्स पहले खैंची हुई अपने लंड की फोटो भी शाज़िया को सेंड कर दी।
ज़ाहिद की तरह शाज़िया भी अपने भाई का रिप्लाइ पढ़ कर और उस के लंड की भेजी हुई तस्वीर देख कर मस्ती में आ गई. मगर वक्त की कमी और इर्द गिर्द दूसरे लोगों की मौजूदगी की वजह से उस ने मज़ीद मेसेज करना मुनासिब ना समझा।
वैसे भी अपनी भेजी हुई फोटो के ज़रिए शाज़िया का मकसद ना सिर्फ़ पूरा हो चुका था। बल्कि वह ये बात भी ब खूबी जान चुकी थी। कि उस के भाई ज़ाहिद के लंड को उस की फुद्दि की तलब अब एक हफ़्ता सकून नहीं लेने देगी और वह दिन रात पागलों की तरह शाज़िया के घर वापिस आने का इंतिज़ार करेगा।
इस के साथ ही शाज़िया अपनी चूत के लिए बे चैन होते अपने भाई ज़ाहिद के ख्याल और बेचैनि को अपने ज़हन में सोच-सोच कर खुद ही मुस्कुराने लगी।और इस के साथ ही उस के जहाज़ ने कराची के लिए अपनी उड़ान भर ली।
जारी रहेगी