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Click hereमेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 42
खूबसूरती
थोड़ी देर अर्शी को इस अंदाज़ में चोदने के बाद मैंने अर्शी की फुद्दि से अपना लंड निकाला और अर्शी की वही छोड़ा कर बाथरूम के कमोड पर जा बैठा। अर्शी पास्ट होकर बाथरूम में लेट गयी । और मैंने रुखसार को अपने पास खींच लिया।
अपने शौहर को कमोड पर बैठा देख कर रुखसार समझ गई कि उसका शहर सलमान अब उसे एक नये तरीके से चोदना चाहता है।
ये ही सोच कर रुखसार भी मूडी और कमोड पर बैठे हुए मेरी (शौहर सलमान जो उसका कजिन भाई भी था) गोद में आन बैठी।
मेरी गोद में इस तरह से बैठने से मेरा सख़्त लंड नीचे से रुखसार की चूत से टकराया। तो हम दोनों के जिस्म ने एक झुर्झुरि सी ली।
ज़ीनत की नज़र सामने लगे आईने पर पड़ी तो अपनी भारी छातियो और मोटी और भारी गान्ड को देख कर ख़ुद शरमा गई। ज़ीनत आपा को पहली नज़र में देखने वाले का ध्यान हमेशा सब से पहले उस की छातियों और उस के चुतड़ों पर ही जाता था।
ज़ीनत अपने जिस्म को देख कर फख्र महसूस कर रही थी। उस की फिगर बहुत मस्त और कसी हुई थी। उसकी खूबसूरती बिलकुल कम नहीं हुई थी बल्कि अब तो निकाह के बाद से उस का बदन पहले से भी ज़्यादा निखर कर और पूर्कश हो गया था।
उसके सामने खड़ी जूनि ने अपने सामने खड़ी ज़ीनत के चूचों के गुलाबी दानो पर नज़र दौड़ाईl
फिर वह अपने हाथों से ज़ीनत के दोनों चूचों को पकड़ कर अपने हाथ से सहलाने लगी।
जूनि के हाथ अपने चूचों पर लगते ही ज़ीनत की चूत और ज़्यादा गरम होने लगी।
जूनि ने अपने हाथों से जीनत के चूचों को सहलाते हुए अपनी उंगलियों से उनके दोनों चूचों के गुलाबी दाने पकड़ लिए और उन्हे अपनी उंगलियों के दरमियाँ में ले कर दबाने लगी, "आहह अपने चूचों के निपल्स पर दबाव पड़ते ही जीनत के मुँह से सिसकी निकल गईl"
कुछ देर तक मज़े से अपनी आँखें बंद कर के अपने चूचों को सहलाने के बाद जीनत ने अपनी आँखें खोलते हुए अपने हाथ जूनि की छातियों पर रख दिएl
उधर रुखसार मेरे ऊपर बैठी हुई सामने शीशे में अपनी चूत को देखने लगी। क्योंकि रुखसार ने कुछ दिन पहले अपनी चूत के बाल हेर रिमूव लगा कर सॉफ किए थे। इस लिए अब उस की चूत पर हल्के-हल्के बाल उग आए थे।
जब खड़े-खड़े ज़ीनत की टाँगों में दर्द होने लगा तो वह भी शीशे के एक तरफ पड़े एक स्टूल पर बैठ गई।
ज़ीनत ने स्टूल पर बैठे हुए अपनी टाँगें फेला दीं और सामने लगे शीशे में अपने आप को देखने लगी।
उस ने देखा कि उस के बाक़ी जिस्म के उल्ट उस की चूत साँवली है ।
उस की चूत के उपर एक दाना है जब कि उस की चूत के मोटे-मोटे होंठ आपस में एक दूसरे से बिल्कुल जुड़े हुए हैं।
ज़ीनत ने अपनी चूत को इस से पहले भी कई दफ़ा देखा था। मगर इतनी ग़ौर से आज पहली दफ़ा अपनी फुद्दि का जायज़ा ले रही थी।
जूनि अपना हाथ जीनत की चूत के दाने पर रख कर उसे सहलाने लगी, "आहह ष्ह्ह्ह" चूत के दाने को छूते ही ज़ीनत का पूरा जिस्म काँप उठा और उस की चूत में से ज़ियादा पानी निकलने लगा।
जूनि अपना हाथ नीचे करते हुए जीनत की चूत के होंठो पर फिराने लगी... और उधर रुखसार अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठो को अलग करते हुए आईने में देखने लगी, उसे अपनी चूत के होंठो के बीच में सिर्फ़ लाल रंग नज़र आने लगा...!
रुखसार को अपनी चूत के होंठो को खोले हुए देख जूनि अपने दूर हाथ से रुखसार की चूत के दाने को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली से जीनत की चूत के छेड़ को कुरेदने लगी, ऐसा करते हुए जूनि को बहुत मज़ा आ रहा था...!
जीनत अब रुखसार को टकटकी लगा कर देखती रही और जीनत को इस तरह अपने जिस्म को देखते हुए पाया तो रुखसार को अपनी बड़ी आपा जीनत के सामने यूँ नंगे बदन रहने में थोड़ी शरम महसूस होने लगी। और उसे इस तरह टक टॅकी बाँध कर देखने पर भी बहुत हैरत हुई।
"आप ऐसे क्या देख रही हो आपा ।" रुखसार ने जीनत से सवाल किया।
"बन्नो मेरी बहन आज पहली बार तुम्हें इस तरह देख कर मुझे यह अंदाज़ा हुआ है कि तुम्हारा जिस्म तो बहुत खूबसूरत है। काश में लड़की की बजाय अगर लड़का होती तो सच पूछो तो तुम्हारा यह खूबसूरत बदन सारा खा जाती।" जीनत ने हँसते हुए कहा।
"ये आप किस क़िस्म की बाते कर रही हो आपा " रुखसार को अपनी आपा की बात सुन कर शरम तो आइए. मगर एक औरत जो उसकी बहन और सौत भी थी उसके मुँह से अपनी तारीफ सुन कर ना जाने क्यों उसे अच्छा भी लगा।
"में सही कह रही हूँ रुखसार तुम हम तमाम बहनो और कजिन्स में सब से खूबसूरत और हसीं हो!
अच्छा मुझे अब बनाओ मत आपा आप ख़ुद भी किसी से कम नही हो । हमारा शोहर बहुत ही क़िस्मत वाला है जिसे इतनी प्यारी बीवीया मिली है।"
कहानी जारी रहेगी