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VOLUME II- विवाह, और शुद्धिकरन
CHAPTER-4
सुहागरात
PART 3
पूरे जीवन चलने वाले प्यार और जुनून की चाहत
मैं उसके पास गया और उसकी बगल मे बैठ गया और हाथ में पकडे फूल से ज्योत्स्ना के गालो को छुआ तो उसके गाल गुलाबी हो गए और शर्माने लगी फिर मैंने श्रृंगार किये हुई ज्योत्सना को निहारा तो देखा की वो मदमस्त और कोमल जिस्म की मालकिन के स्तनों की साइज 34 इंच लग रहा था और बलखाती उसकी कमर 24 इंच की लग रही थी और उसके कूल्हे 34 इंच के थे। गुलाबी जोड़े में गुलाबी चुनरी ओढ़े हुए वो अपने संगमरमरी बदन को लपेटे हुए फूलों से सजे बेड पर गहनों और फूलों से शृंगार किये हुए स्वर्ग से आयी हुई अप्सरा लग रही थी। मेरा तो लंड उसे देख कर कड़ा होने लगा।
फिर मैंने उसकी तरफ देखा वो श्रृंगार किये हुए घूंघट लिए हुए बैठी थी । ये श्रृंगार आदमी की तड़प को बढ़ा देता है और उसे रस पीने के लिए उकसाता हैपूरे जीवन चलने वाले प्यार और जुनून की चाहत, ज्योत्सना बिस्तर पर शर्मायी हुई अपने पैरो की तरफ देख रही थी। उसने हल्का सा घूंघट किया हुआ था। उसका चेहरा शर्म और आगे जो होने वाला था। वह सोच कर लाल हो रहा था। वह थोड़ी सी घबराई हुई भी थी और फिर मैं उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उससे बातें करने लगा तो मेरे साथ थोड़ा सहज हो गयी।
मैंने कहा आज रात क्या होता है इस बारे में आपको आपकी बहनो और भाभियो ने भी कुछ बताया होगा?
वो कुछ नहीं बोली पर जब शर्म से लरजते होंठ नही बोल पाते तो आँखो, उंगलियों, देह के हर अंग मे ज़ुबान उग जाती है. और उसकी शर्म सब बयान कर रही थी।
मैंने फिर से छेड़ा क्या उन्हें भी कुछ नहीं पता और आपको कुछ नहीं बताया तो वो बड़े धीरे से बोली "किसी आदमी से पूछा गया अगर आपके सामने कोई शेर आ जाए तो तुम क्या करोगे. मैं क्या करूँगा, जो करेगा वो शेर ही करेगा." मेरी एक भाभी ने बताया था कि सुहाग रात मे बस यही होता है. जो करेगा, वो शेर ही करेगा!"
तो मैंने कहा देखो मेरी रानी मैं शेर वाला काम नहीं करना चाहता। ये हमारे सुख और आनंद की पहली रात है और आज हमारा पहला मिलन है और मैं चाहता हूँ ये रात हम दोनों के लिए न केवल यादगार हो बल्कि आने वाले सुखो के दरवाजे खोलने वाली चाबी हो। मैं हम दोनों के बीच पूरे जीवन तक चलने वाले प्यार और जुनून को जगाना चाहता हूँ और हम उसे आज की रात से शुरू करेंगे ।
मैंने थोड़ा सा आगे होकर और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया तो उसका नरम गर्म हाथ पकड़ते ही मेरे तनबदन की आग और भड़क गयी और मेरा लंड सनसनाता हुआ 8 इंची बड़ा और कड़ा हो गया।
फिर मैंने कहा आप अपनी आँखे बंद करो और उसके मुस्कुरा और शर्मा कर अपनी आँखे बंद कर ली. मैं एकदम से उसके पास आ गया और उसकी सांसो की गर्माहट मैं अपने गालो पे महसूस कर करते हुए, फिर अपने हाथो की उसके गले के पीछे उसकी पीठ पर ले गया और उसके सीने को अपने सीने से दबाते हुए उसके उभारो को हल्के से छूते हुए अपने साथ लाया हुआ एक हीरे का हार, उसको अपनी शादीशुदा जिंदगी के पहले नज़राने के तौर पर पहना दिया तो उसके गहने खड़कने लगे।
हार के बीच का बड़ा हीरा ठीक उसकी चोली के कटाव के बीच, क्लीवेज की गहराई मे टिका था. फिर उसके अर्धगोलाकार उभार को उंगली से सहलाते हुए छूते मैंने कहा अब आँखे खोलो और बताओ "कैसा लग रहा है?'. उसने गरदन झुका के चोली से झाँकती हुई दोनो अर्ध गोलाईयों के" बीच,देखा और बोल पड़ी, 'बहुत सुंदर!"
फिर मैंने उसे चूड़ामणि भी दिया और फिर मैंने धीरे से उसका घूंघट उठा दिया और उसका सुंदर चेहरा मेरे सामने था। उसने शर्मा कर आँखे बंद कर ली और उसके गाल गुलाबी हो गए मैंने देखा की वो बिलकुल दूध जैसी गोरी थी और उसके नाजुक ओंठ गुलाबी थे और फिर उसके नाज़ुक होटों के नीचे ऊपर ठीक ऊपर दायी पतली लंबी गर्दन घणो और फूलो के भोझ से झुकी जा रही थी। मैं अपना हाथ थोड़ी पर ले गया । नाक पर बड़ी नथ, मांग में टिका बालो में गजरा उसका चेहरा नीचे को झुका हुआ था इतनी सुन्दर दुल्हन देख मेरे मुँह से निकला वाह!बहुत सुंदर! तो वो शर्मा गयी और मुझ से लिपट कर उसने मुझे कस के उन्हे अपनी बाहों मे भींच लिया. और उसके होंठ लरज के रह गये लेकिन उसकी आँखो की चमक उसकी खुशी बयान कर रही थी।
अति सुन्दर, काम-भावना का स्वत: संचार करने वाली, निहायत-गोरी और कसे बदन की मालकिन, असाधारण यौनाकर्षण से परिपूर्ण, बिल्कुल ताज़ा, जवान, चुस्त-दुरूस्त और तन्दुरुस्त सुहासिनी अक्षतयौवना राजकुमारी जो अब विवाह के उपरान्त मेरी धर्मपत्नी बन गयी थी अब सुहागकक्ष में मेरी बाहो में थी और मैं उसे ज़्यादा से ज़्यादा प्यार, खुशी और सन्तुष्टि देंना चाहता था।
फिर मैंने धीरे से उसके चेहरे को ऊपर किया तो ज्योत्सना की आँखे बंद थी. मैं बोला मेरी जान अपनी आँखे खोलो और अपने दीवाने को देखो उसने आँखे खोली और हलकी से मुस्करायी तो मैंने उसकी ओंठो पर एक नरम सा चुम्बन ले लिया। वह शर्मा कर सिमट कर मुझ से लिपट गयी। मैंने उसको को अपने गले लगाया और पीठ पर हाथ फिरायी तो पाया की चोली एक डोरी से बंधी हुई थी और उसकी पीठ बहुत चिकनी थी।
उसका अनमोल खूबसूरत युवा बदन और और मदमस्त यौवन। उभारों वाले बेदाग और भरे-पूरे सन्गेमरमरी बदन को देखने से से ही मेरी नसों में स्वत: कामोत्तेजना बढ़ गयी थी और लिंग कड़ा होने लगा था और इस एहसास ने की अब हम अपने प्रथम सम्भोग की और बढ़ रहे थे और फिर उस स्पर्श ने तो लिंग को अति कठोर कर दिया और अपने-अपने जिस्म से चिपकी अति हसीन अपनी दुल्हन को अपने से लिपटा पाकर मैं विस्मित-सा हो गया था ।
मेरे हाथो का स्पर्श पाकर जब वो मुझ से कस कर चिपकी तो मैं जैसे होश में आया और मेरा एक हाथ अब उसके कंधे पे था और दूसरा कीथ पर और फिर मैंने भी उसे अपनी ओर खींचा. थोड़ी देर तक मैं उसे अपनी बांहों में भरकर उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा। वह मेरी बांहों में मुझसे और चिपक गयी। उसके कुँवारे नारी शरीर और अनभोगे, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभार और गर्म चूचियों के पर्श से मेरा मन वासना के ज़्वार-भाटे में डगमगा उठा। मुझे लगा मेरा लिंग बेहद कड़ा होकर विशाल रूप लेते हुए मेरे पायजामे को चीर कर बाहर आ जाएगा ।
उसको खींचने से ही उसकी चुनरी सरक कर माथे और पीठ से हट गई. पीठ और चोली पर मेरी उंगलियो का अहसास उसे अपनी पीठ पे हो रहा था, जिससे उसकी पीठ कम्पन कर रही थी उसकी पीठ के कम्पन की थिरकन को मैं आराम से महसूस कर रहा था। फिर मेरे हाथ फिसल कर कमर तक पहुँच गए थे। एकदम पतली चिकनी नरम और नज्जुक कमर थी। फिर मेरे हाथ फिसल कर उसकी गांड पर पहुँच गए थे उसने लेहंगा नाभि के काफी नीचे पहना हुआ था।
और वो मेरी बाहों मे ऐसे चिपकी हुई थी की मुझे छोड़ना ही नहि चाहती थी. मुझे एहसास हुआ की अब आगे बढ़ने के लिए थोड़ा पीछे होना जरूरी है और मैं हल्का सा पीछे हुआ तो मेरी निगाहे उसकी निगाही में झाँक कर आगे बढ़ने की इजाजत मांग रही थी, तो उसकी पलके खुद शरम के बोझ से झुक गयी तो मेरी निगाहे इस बार फिसल के उसकी चोली के उभार पे चली गयी और चोली से बाहर झाँकते उसके सीने के उपरी भाग और कसी चोली से दिखते गहरे क्लीवेज मे जा के अट्क गयी।
कहानी जारी रहेगी