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Click hereजब शाज़िया नीलोफर की उंगली चूस-चूस कर थक गई. तो उस ने नीलोफर की उंगली को अपने मुँह से निकाला और अपने भाई ज़ाहिद की तरह वह भी अपने होंठो पर ज़ुबान फेर कर मज़े से नीलोफर की तरफ़ देख कर मुस्कुरा दी।
"दिल भर गया है तो चलो अब तुम को इस टेस्टी लंड से असल ज़िंदगी में मिलवा दूं" नीलोफर ने शाजिया को उस के बाज़ू से पकड़ा और ड्रॉयिंग रूम की तरफ़ चल पड़ी। जिधर सोफे पर बैठा हुआ ज़ाहिद पॅंट में खड़े अपने लंड को हाथ से मसल्ते हुए उन दोनों के इंतिज़ार में था।
"लो जी आज एक गरम लंड और प्यासी चूत की पहली मुलाकात हो गई, अब जल्दी से आगे बढ़ कर एक दूसरे के जवान प्यासे जिस्मो की प्यास बुझा दो तुम दोनो, साजिदा मीट रिज़वान और रिज़वान प्लीज़ मीट साजिदा, मेरी प्यारी और बे इंतिहा गरम सहेली" ड्रॉयिंग रूम में एंटर होते हुए नीलोफर ज़ोर से बोली और उस ने मूड कर ड्राइंग रूम के दरवाज़े को बंद किया तो घर के एक कमरे में छुप कर बैठे हुए नीलोफर के भाई जमशेद ने बाहर से कुण्डी लगा दी। ता कि शाज़िया को ड्राइंग रूम से भाग जाने का मोका ना मिले।
सोफे पर बैठे हुए ज़ाहिद और नीलोफर के पहलू में खड़ी शाज़िया की नज़रें जब आपस में मिली। तो दोनों बहन भाई एक दूसरे को यूँ अपने सामने देख कर हेरत जदा रह गये।
दोनो बहन भाई को यूँ अचानक एक दूसरे के सामने आ कर इतना शॉक पहुँचा। जिस से एक तरफ़ शाज़िया की गरम फुद्दि में से बहता हुआ पानी रुक गया। तो दूसरी तरफ़ ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अकड़ने की जगह की तरह फॉरन बैठ गया।
नीलोफर ने आज शाज़िया और ज़ाहिद की हालत बिल्कुल ऐसे कर दी थी। जैसे आज से कुछ महीने पहले नीलोफर और उस के भाई जमशेद की ज़ाहिद के सामने बैठे हुए हो रही थी।
दोनो बहन भाई शर्मिंदगी और हेरत का बुत बने एक दूसरे को आँखे फाड़-फाड़ कर देख रहे थे। उन दोनों को यक़ीन नहीं हो रहा था। कि वह ज़िंदगी में कभी इस तरह भी आपस में मुलाकात करेंगे।
"नीलोफर ये क्या मज़ाक है, ये साजिदा नहीं बल्कि मेरी सग़ी बहन शाज़िया है" ज़ाहिद ने हेरान होते हुए नीलोफर से कहा।
"में जानती हूँ कि ये तुम्हारी बहन शाज़िया है ज़ाहिद और इसी बहन की फुद्दि का पानी अभी-अभी बारे शौक से चखा है तुम ने मेरे यार" नीलोफर ने मुस्कुराते हुए ज़ाहिद को जवाब दिया।
"क्या" नीलोफर के जवाब पर दोनों बहन भाई के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ निकले।
शाज़िया की हालत देख कर यूँ लग रहा था। जैसे उस के जिस्म से किसी ने खून का आखरी क़तरा भी निकाल लिया हो। जिस से वह एक ज़िंदा लाश बन गई हो।
शाज़िया को समझ नहीं आ रहा था कि ये सब किया है और क्यों उस की सहेली ने जानते बूझते उन दोनों बहन भाई के साथ इतना घटिया ड्रामा किया है।
शाज़िया को नीलोफर पर बे इंतिहा गुस्सा आने लगा। उस का बस नहीं चल रहा था कि वह नीलोफर को क़ातल ही कर दे। जिस ने उन दोनों बहन भाई को धोके में रख कर ना सिर्फ़ उन को एक दूसरे के नंगे जिस्म के एक-एक हिस्से से रूबरू कर वा दिया था। बल्कि उस ने आज उन दोनों सगे बहन भाई के लंड और फुद्दि का पानी भी एक दूसरे को चखवा दिया था।
बहरहाल अब जो भी हो शाज़िया अब मज़ीद उधर रुक कर अपने आप को मज़ीद तमाशा नहीं बनाना चाहती थी। इसीलिए उस ने इरादा किया कि वह जल्द अज जल्द उधर से निकल जाय।
ये सोच कर वह वापिस जाने के लिए ज्यों ही मूडी तो ड्रॉयिंग रूम के दरवाज़े को बाहर से बंद पाया।
"दरवाज़ा खोलो और मुझे जान दो" शाज़िया ने इंतिहाई गुस्से से नीलोफर को कहा।
नीलोफर ने शाज़िया के गुस्से को नज़र अंदाज़ करते हुए उस के पीछे आ कर शाज़िया को कंधे से पकड़ते हुए कहा "शाज़िया में जानती हूँ तुम दोनों बहन भाई इस वक़्त मेरी की हुई इस हरकत पर बहुत गुस्से में हो, मगर रुक जाओ में सारी बात तफ़सील से बताती हूँ कि मैने ये सब क्यों किया।"
शाज़िया: छोड़ो मुझे जाने दो, मुझे तुम को अपनी सहेली कहते हुए भी शर्म आ रही है नीलोफर।
"शाज़िया प्लीज़ सिर्फ़ चन्द मिनिट्स रुक जाओ मैं तुम को आज सब कुछ खुल कर बता देती हूँ" नीलोफर ने शाज़िया को पकड़ कर अपने साथ ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठाते हुए कहा।
शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था। कि अपनी भाई की मौजूदगी में वह अंदर एक लम्हा भी रुके.मगर ड्राइंग रूम का दरवाज़ा बाहर से बंद होने की वज़ह से उस के पास अब ड्राइंग रूम में ही रुकने के अलावा कोई चारा नहीं था। इसीलिए वह मजबूरन नीलोफर के साथ सोफे पर बैठ गई और अपनी नज़रें नीचे फ़र्श पर गाढ दीं।
फिर नीलोफर ने शुरू से ले कर आख़िर तक शाज़िया को अपनी ज़िंदगी की सारी कहानी उसी तरह बयान कर दी। जिस तरह आज से कुछ महीने पहले उस ने शाज़िया के भाई एएसआइ ज़ाहिद को सुनाई थी।
जिस में नीलोफर ने अपने और अपने भाई जमशेद के जिन्सी ताल्लुक़ात का किस्सा भी खुलम खुले अल्फ़ाज़ में पूरी तफ़सील से शाज़िया को बता दिया।
साथ साथ नीलोफर ने शाज़िया को ये भी बता दिया।कि कैसे ज़ाहिद के पोलीस रेड के दौरान रंगे हाथों पकड़े जाने और फिर ज़ाहिद के हाथों ब्लॅकमेल होने के डर से ही नीलोफर ने उन दोनों बहन भाई शाज़िया और ज़ाहिद को भी एक दूसरे के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात क़ायम करने के लिए आमादा करने का सोचा।
शाज़िया अपनी दोस्त की सारी बातों को हेरत के साथ सुन तो रही थी।लेकिन साथ उसे शरम भी आ रही थी। कि उस का अपना सगा बड़ा भाई भी उसी कमरे में उस के साथ बैठा सारी ये सारी बातें सुन रहा है।
नीलोफर की सारी बाते सुनने के दौरान शाजिया को नीलोफर पर गुस्से बढ़ने के साथ-साथ इस बात पर भी हैरत हो रही थी। कि क्यों उस के भाई ज़ाहिद ने उन दोनों बहन भाई के साथ की गई नीलोफर की इस जानिब पर शाज़िया की मुक़ाबले कम गुस्से का इज़हार किया था।
इधर ज़ाहिद का हाल ये था। कि पहले पहल तो उसे भी नीलोफर की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया था।मगर अब जब उस ने देखा कि उस की बहन शाज़िया सामने वाले सोफे पर बैठ कर मजबूरन अपनी सहेली की बातों को सुन रही है। तो उसे नीलोफर की उन दोनों बहन भाई के साथ की गई इस हरकत पर आने वाला गुस्सा अब प्यार में बदल गया।
वो अब दिल ही दिल में नीलोफर का शूकर गुज़ार होने लगा। के जिस ने अंजाने में उन दोनों बहन भाई के जिस्मो का एक दूसरे का ना सिर्फ़ नज़ारा करवा दिया था। बल्कि उन दोनों की आपस में मुलाकात करवा कर शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ क़ायम बहन भाई वाले रिश्ते की झिझक और शरम के पर्दे को उतार फैंका था।
फिर ज्यों ही नीलोफर की बात ख़तम हुई. तो ड्राइंग रूम का दरवाज़ा खुला और नीलोफर का भाई जमशेद अंदर मुस्कुराता हुआ अंदर दाखिल हुआ।
" इस से मिलो शाज़िया, ये है मेरा भाई जमशेद, जो मेरा भाई भी है और मेरा यार भी' ये कहते हुए नीलोफर भी अपने भाई को देख कर मुस्करते हुए सोफे से उठ खड़ी हुई।
जमशेद चलता हुआ अपनी बहन नीलोफर के नज़दीक पहुँचा और अपनी बहन को अपनी बाहों में क़ैद करते हुए. उस ने अपने होन्ट नीलोफर के होंठो पर रख कर बहन के गुलाबी होंठो का रस चूमने लगा।
साथ ही साथ जमशेद का एक हाथ नीलोफर के पेट से होता हुआ उस की छाती पर आया और शाज़िया के देखते ही देखते जमशेद ने नीलोफर के एक मम्मे को अपने हाथ में ले कर किस्सिंग के दौरान मसलना शुरू कर दिया।
शाज़िया अपनी सहेली और उस के भाई की इस हरकत को आँखे पर फाड़ कर ऐसे देखे जा रही थी।जैसे नीलोफर और उस का भाई जमशेद कोई आम इंसान नहीं बल्कि किसी दूसरे ग्रह का प्राणी हो।
दोनो बहन भाई को यूँ एक दूसरे से लिपटा देख कर शाज़िया के जिस्म से पसीने छूटने लगे।
उसे यक़ीन नहीं हो रहा था। कि वह जो कुछ अपनी आँखों के सामने होता देख रही है। वह वाकई ही ये हक़ीकत में हो भी सकता है।
शाज़िया का अब उधर अपने भाई के सामने बैठ कर ये सब देखना ना मुमकिन हो गया।
इसीलिए वह तेज़ी से उठी और दौड़ते हुए नीलोफर के कमरे से अपना पर्स उठा कर घर से बाहर निकल गई।
नीलोफर ने इस बार शाज़िया को रोकने की कोशिस नहीं की और जान बूझ कर उसे जाने दिया।
ज्यों ही शाज़िया कमरे से बाहर निकली। ज़ाहिद ने उठ कर नीलोफर को जमशेद की बाहों से निकाला और उसे अपनी बाहों में भरते हुए नीलोफर को दीवाना वार चूमने लगा।
"उफफफफफफफफफफ्फ़! ज़ाहिद पागल हो गये हो क्या" नीलोफर ने ज़ाहिद को जब उसे यूँ पागलो की तरह अपने चेहरे, गर्देन और होटो को चूमते देखा तो बोली।
नीलोफर तो ज़ाहिद की तरफ़ से गुस्से के इज़हार की तव्क्को कर रही थी।मगर उसे ज़ाहिद का ये अंदाज़ देख कर एक खुश गंवार हेरत हुई।
"हाँ में वाकई ही पागल हो गया हूँ निलो, यार तुम ने आज वह काम किया है जिस के लिए में उस वक़्त से तरस रहा था, जब पहली बार तुम दोनों बहन भाई से मुलाकात हुई थी" ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मे को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए कहा।
"और वह काम क्या है कुछ हम को भी तो बताओ" नीलोफर सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनने की आक्टिंग करते हुए बोली।
"तुम दोनों बहन भाई की चुदाई देखने के बाद मेरे दिल में भी अपनी बहन शाज़िया के साथ जिन्सी ताल्लुक़ात क़ायम करने का ख़्याल आ गया। मगर मुझे में ना तो जमशेद की तरह अपनी बहन के साथ किसी क़िस्म की हरकत करने का होसला था। ना ही मुझे ये समझ आ रही थी कि में शाज़िया से अपने दिल ही बात कैसे कहूँ, मगर तुम ने हम दोनों बहन भाई को एक दूसरे के नंगे जिस्मो का दीदार करवा कर मेरा आधा काम आसान कर दिया है, अब इस से अगला काम मेरा है और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही जमशेद की तरह में भी अपनी बहन की फुद्दि का मज़ा लेने में कामयाब हो जाऊँ गा" ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मो को हाथ से दबाते और मसलते हुए कहा।
साथ ही ज़ाहिद ने नीलोफर को सोफे पर बैठाया और नीलोफर के एक तरफ़ जमशेद जब कि दूसरी तरफ़ ज़ाहिद आ कर बैठ गया।
अब नीलोफर उन दोनों के दरमियाँ थी और ज़ाहिद नीलोफर के मुँह में मुँह डालने के साथ-साथ नीलोफर के जवान मम्मो के साथ भी खेलने में मसरूफ़ था।
जब कि दूसरी तरफ़ से नीलोफर का भाई जमशेद अपनी बहन के कानो और गर्देन पर किस्सस करता हुए नीलोफर के दूसरे मम्मे को छेड़ रहा था।
ज़ाहिद नीलोफर के जुसी होंटो को काटता हुआ बोला " नीलोफर में तो पहले ही अपनी बहन के लिए पागल हो रहा था। मगर याकीन मानो आज जब से मुझे ये पता चल चुका है कि कपड़ों के बिना मेरी अपनी बहन शाज़िया का जिस्म इतना जबर्दस्त है तो अब मेरे लिए उस से एक पल भी दूर रहना मुमकिन नही।
जारी रहेगी