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Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
CHAPTER- 2
एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे
मानवी- मेरी पड़ोसन
PART 1
सुबह- सुबह
शुरुआत में हर दिन सुबह-सुबह मानवी डुप्लीकेट चाबी से मेरे फ़्लैट को खोलती और मुझे बिस्तर पर एक कप हॉट मॉर्निंग चाय सर्व करती और मुझे अपनी मीठी और मधुर आवाज़ में गुड मॉर्निंग करके जगा देती।
जब तक आशा मेरे साथ रही थी वह रोज़ सुबह डुप्लीकेट चाबी से मेरे फ़्लैट को खोलती और बिस्तर पर मुझे चूमती और मुझे अपनी मीठी और मधुर आवाज़ में गुड मॉर्निंग करके जगा देती। मैं साधारणतया रात को लुंगी पहन कर ही सोता हूँ और कभी भी अंडरवियर पहन कर नहीं सोता l आशा के चूमने से मेरा लंड जाग जाता था और फिर चाय से भी पहले मैं आशा के साथ लगभग रोज़ चुदाई का एक राउंड लगा लेता था और उसके जाने के बाद भी वह रोज़ सुबह-सुबह मेरे ख्वाबो में आती थी और मैं उसकी भरपूर चुदाई करता था।
एक दो दिन बाद मैंने मानवी भाभी को सुझाव दिया, " मानवी भाभी, मैं देख रहा हूँ, आप दिन-ब-दिन वज़न बढ़ा रही हैं और मैं आप जैसी इतनी खूबसूरत महिला को मोटी महिला में तब्दील होते नहीं देखना चाहता। तो कल से, हम दोनों पार्क में एक साथ सुबह और शाम की सैर करेंगे।
मानवी ने सहमति जताई और प्रसन्न हुई कि काका को उनके स्वास्थ्य और सौंदर्य की कितनी चिंता है।
रूपाली फ़िल्म के शौकीन थी, लेकिन सूरत में उनके पति के छोटे-छोटे प्रवासो के दौरान उनके पति शायद ही किसी फ़िल्म थिएटर में उसके साथ गए होंगे। मुझे जल्द ही इस बात की जानकारी हो गई। इसलिए हर वीकेंड में मैं रूपाली को शनिवार या रविवार को मूवी थिएटर में ले जाता और रूपाली की पसंद के अनुसार फ़िल्म देखते। रूपाली का चुनाव गुजराती या भोजपुरी फ़िल्मों और हिन्दी फ़िल्मों से लेकर हॉलीवुड फ़िल्मों तक अलग-अलग था। बेशक, पूरा ख़र्च मैं ही वहन करता था।
एक सुबह रूटीन से मानवी ने चाय के प्याले के साथ मेरे बेडरूम में प्रवेश किया। मैं अपनी पीठ के बल चित्त सो रहा था। सुबह के समय में, उस समय मेरे सपने में आशा मेरे साथ थी और मैं उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था और नींद में मेरा लंड पूरी हद तक कठोर और खड़ा हुआ था जैसे कि मैंने पहले भी लिखा है मैं अंडरवियर पहन कर नहीं सोता और मैंने हमेशा की तरह सिर्फ़ लुंगी (भारत में कमर के चारों ओर पहना जाने वाला पारंपरिक परिधान) पहना हुआ था और लंड अपने विशाल आकार के कारण लुंगी में से पूरा बाहर आ गया था। मानवी ने अपने जीवन में कभी 8 इंच का इतना बड़ा लंड नहीं देखा था। वह इस नजारे से पूरी तरह मंत्रमुग्ध हो गई थी। वह बहुत हैरान थी और सोचा कि उसके पति का मरियल-सा लंड तो मेरे इस विशालकाय लंड के आधे आकार का ही होगा।
इन दिनों, दो कारणों से मानवी और उसके पति के बीच सेक्स लगभग बंद ही था। (जो की मानवी ने ही मुझे बाद में बताया था।) सबसे पहले, उसके पति छह महीने में एक बार ही यात्रा कर सूरत आते थे और वह सेक्स के लिए कोई पहल नहीं करेंते थे सम्भवता उम्र और थकान, सेक्स में अरुचि इसका कारण थे। दूसरा, भीड़भाड़ वाले फ़्लैट में बेटे और बेटी के बढ़ने के साथ ही फ्री तरीके से सेक्स संभव नहीं था। इन कारणों से निश्चित तौर पर मानवी सेक्स की भूखी महिला थी।
अचानक मेरे बड़े खड़े हुए लंड को देखकर मानवी को अपनी चूत के अंदर एक सनसनी-सी महसूस हुई। उसने लंबे समय तक मेरा विशाल लंड की मन्त्रमुुग्ध हो कर देखा, लेकिन उसे जल्द ही होश आ गयाऔर उसने ख़ुद को नियंत्रित किया,।
उसने चाय का कप बिस्तर के पास रखा और धीरे से पुकारा, "काका, उठो, सुबह हो गई है।"
उसके बाद वह तुरंत वहाँ से चली गई। मैं जाग गया और उन घटनाओं से अनभिज्ञ था जो मेरे कमरे में कुछ समय पहले हुई थीं। उस दिन मानवी इतनी गर्म कामुक हो गयी थी कि दोपहर के समय, जब कोई भी घर पर नहीं होता था, उसने रसोई से एक लम्बा बेंगन उठा कर उसे अपनी चूत के अंदर डाल लिया। उसने बैगन की कल्पना मेरे लंड के रूप में की और 10 मिनट तक हस्तमैथुन करती रही जब तक वह झड़ नहीं गयी।
कहानी जारी रहेगी ...
दीपक कुमार