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औलाद की चाह 030

Story Info
पुरानी यादें-Flashback 3.
2.5k words
4.83
334
00

Part 31 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 4 तीसरा दिन

पुरानी यादें-Flashback

Update 3

अब मुझे चाचू का हुकुम मानना ही पड़ा। मैंने चाचू से नाइटी ली और अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया। उन दिनों मेरी लंबाई तेज़ी से बढ़ रही थी और मैं मम्मी से भी थोड़ी लंबी हो गयी थी। आज मैंने और दिनों की अपेक्षा कुछ छोटी स्कर्ट पहनी हुई थी पर ये नाइटी तो और भी छोटी थी। मुझे लगा इस ड्रेस में तो मैं बहुत एक्सपोज हो जाऊँगी।

मैंने अपने सर के ऊपर से टॉप उतार दिया और फिर स्कर्ट को फ़र्श पर गिरा दिया। मैंने दोनों को हुक पर टाँग दिया। अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। मेरी कसी हुई चूचियाँ सफेद ब्रा में गर्व से तनी हुई थीं। मेरी पैंटी मेरे नितंबों का ज़्यादातर हिस्सा ढके हुए थी। मैंने वह नाइटी अपने बदन के आगे लगा कर देखी तो मुझे लगा की ये तो मेरे नितंबों तक ही पहुँचेगी। मैंने कभी भी इतनी छोटी ड्रेस नहीं पहनी थी। मेरी छोटी से छोटी स्कर्ट भी मेरी आधी जांघों तक आती थी। स्वाभाविक शरम से मेरा हाथ अपनेआप मेरे नितंबों पर पहुँच गया और मैंने पैंटी के कपड़े को खींचकर अपने नितंबों पर फैलाने की कोशिश की ताकि मेरे मांसल नितंब ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए, पर पैंटी जितनी हो सकती थी उतनी फैली हुई थी और अब उससे ज़्यादा बिल्कुल नहीं खिंच रही थी।

चाचू--रश्मि सो गयी क्या? एक सिंपल-सी ड्रेस पहनने में तू कितना टाइम लेगी?

"चाचू ज़रा सब्र तो कीजिएl"

मैंने मम्मी की नाइटी अपने सर से नीचे को डाल ली। खुशकिस्मती से ड्रेस मेरी चूचियों को ठीक से ढक रही थी लेकिन कंधों पर बड़ा कट था। इससे मेरी सफेद ब्रा के स्ट्रैप दोनों कंधों पर खुले में दिख रहे थे। ये बहुत भद्दा लग रहा था पर उस नाइटी के कंधे ऐसी ही थे। नाइटी की लंबाई कम होने से वह सिर्फ़ मेरे गोल नितंबों को ही ढक पा रही थी।

उस नाइटी का बीच वाला हिस्सा बहुत झीना था। इस बात पर पहले मेरा ध्यान नहीं गया था। पर पहनने के बाद मैंने देखा, इस पतली नाइटी में तो मेरी नाभि और पेट का कुछ हिस्सा दिख रहा है। मैं सोचने लगी, "मम्मी ऐसी ड्रेस कैसे पहन लेती है? इस उमर में भी वह इतनी बेशरम कैसे बन जाती है?"

मैंने अपने को शीशे में देखा और मुझे बहुत लज्जा आई, मेरा मुँह शरम से लाल हो गया। मैं ऐसी बनके चाचू के पास जाऊँ या नहीं? मैं दुविधा में पड़ गयी।

खट ...खट ...चाचू दरवाज़ा खटखटाने लगे।

चाचू--रश्मि जल्दी आ।

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सिवाय इसके की मैं दरवाज़ा खोलूं और उस बदन दिखाऊ नाइटी में चाचू के सामने आऊँ।

खट ...खट ...चाचू दरवाज़ा खटखटाने लगे।

चाचू--रश्मि जल्दी आ।

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था सिवाय इसके की मैं दरवाज़ा खोलूं और उस बदन दिखाऊ नाइटी में चाचू के सामने आऊँ। हिचकिचाते हुए मैंने दरवाज़ा खोल दिया पर शरम की वज़ह से मैं कमरे से बाहर नहीं आ पाई. दरवाज़ा खुलते ही चाचू अंदर आ गये और मुझे देखने लगे। मैं सर झुकाए और अपनी टाँगों को चिपकाए हुए खड़ी थी। चाचू की आँखों के सामने मेरी गोरी जाँघें और टाँगें पूरी नंगी थीं।

चाचू--वाउ । रश्मि तू तो बड़ी सेक्सी लग रही है इस ड्रेस में। किसी हीरोइन से कम नहीं।

चाचू के मुँह से 'सेक्सी' शब्द सुनकर मुझे एक पल को झटका लगा । वह मुझसे काफ़ी बड़ी उम्र के थे और मैंने पहले कभी चाचू से इस तरह के कमेंट्स नहीं सुने थे। लेकिन सच कहूँ तो उस समय अपनी तारीफ सुनकर मुझे ख़ुशी हुई थी। वह मेरे नजदीक़ आए और मेरे पेट को ऐसे छुआ जैसे उन्हें उस ड्रेस में मैं अच्छी लगी हूँ। मैंने देखा उनकी नजरें मेरे पूरे बदन में घूम रही थीं। मैं उस कमरे में चाचू के सामने अधनंगी हालत में खड़ी थी। मैंने ख़्याल किया की अब चाचू बाएँ हाथ से अपनी लुंगी के आगे वाले हिस्से को रगड़ रहे हैं, बल्कि लुंगी के अंदर वह अपने लंड को सहला रहे थे, ये देखकर मैं बहुत असहज महसूस करने लगी।

चाचू--रश्मि एक काम करते हैं, मेरे कमरे में चलते हैं।

ऐसा कहते हुए चाचू ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे कमरे से बाहर खींच लिया। फिर वह अपने कमरे की तरफ़ जाने लगे। मेरे पास भी उनके पीछे जाने के सिवा कोई चारा नहीं था। चलते समय ड्रेस का पतला कपड़ा मेरे हर क़दम के साथ ऊपर उठ जा रहा था। मुझे चिंता होने लगी की कहीं पीछे से मेरी पैंटी तो नहीं दिख जा रही है। मैं ख़ुद अपने पीछे नहीं देख सकती थी इसलिए मुझे और भी ज़्यादा घबराहट होने लगी। पर जल्दी ही ये बात मुझे ख़ुद चाचू से पता चल गयी।

जब हम चाचू के कमरे में पहुचे तो उन्होंने लाइट्स ऑन कर दी। कमरे में पहले से ही उजाला था इसलिए मुझे समझ नहीं आया की चाचू ट्यूबलाइट और एक तेज बल्ब को क्यूँ जला रहे हैं। कमरे में तेज रोशनी होने से मुझे ऐसा लगा जैसे मैं और भी ज़्यादा एक्सपोज हो गयी हूँ।

"चाचू, लाइट्स क्यूँ जला रहे हो? उजाला तो वैसे ही हो रहा है।"

चाचू--क्यूँ? तुझे क्या परेशानी है लाइट्स से?

"नहीं चाचू परेशानी नहीं है। पर ये ड्रेस इतनी छोटी है की...।"

चाचू--की तुझे शरम आ रही है। है ना?

मैंने हामी में सर हिला दिया।

चाचू--चल तू आधी नंगी है तो मैं भी वही हो जाता हूँ। तब चीज बराबर हो जाएगी और तुझे शरम नहीं आएगी।

"नहीं चाचू मेरा वह मतलब नहीं! "

मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की चाचू ने अपनी लुंगी फ़र्श पर गिरा दी। मुझे कुछ कहने का मौका दिए बिना उन्होंने अपनी बनियान भी उतार दी। अब वह मेरे सामने सिर्फ़ कच्छे में खड़े थे और उसमें उभार मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था। कच्छे के अंदर उनका लंड कपड़े को बाहर को ताने हुए बहुत अश्लील लग रहा था। उस समय तक मैंने कभी किसी मर्द को अपने सामने ऐसे नंग धड़ंग नहीं देखा था। मुझे अपने जवान बदन में गर्मी बढ़ती हुई महसूस हुईl

चाचू ने मुझे तेज रोशनी वाले बल्ब के नीचे खड़े होने को कहा। मैंने वैसा ही किया, मेरी आँखें चाचू के कच्छे में खड़े लंड पर टिकी हुई थीं। चाचू की नजरें मेरी गोरी टाँगों पर थी। अब वह मेरे बहुत नजदीक़ आ गये और ग़ौर से मेरे पूरे बदन को देखने लगे।

चाचू--रश्मि, तेरी ब्रा तो दिख रही है।

"जी चाचू। कंधों पर कोई कवर नहीं है ना इसलिए ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे हैं।"

चाचू--ये एक एडवांटेज है तेरी चाची को अगर वह ये ड्रेस पहनती है। क्यूंकी उसके बाल लंबे हैं तो कंधा उससे ढक जाएगा।

"जी चाचू।"

अब चाचू ने मेरे कंधे में ब्रा के स्ट्रैप को छुआ। मेरे कंधे नंगे थे, वहाँ पर सिर्फ़ ड्रेस के फीते और ब्रा के स्ट्रैप थे। चाचू के मेरी ब्रा के स्ट्रैप को छूने से मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी।

चाचू--ये क्या फ्रंट ओपन ब्रा है रश्मि?

वो मेरी ब्रा के स्ट्रैप को छूते हुए पूछ रहे थे। मेरे बहुत नजदीक़ खड़े होने से उनको मेरी थोड़ी-सी क्लीवेज भी दिख रही थी। मैं उनको ऐसे अपना बदन दिखाते हुए और उनके अटपटे सवालों का जवाब देते हुए बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी।

"नहीं चाचू। ये बैक ओपन है। फ्रंट ओपन इतनी रिस्की होती है, एक बार हुक खुल गया था तो.l."

चाचू--हम्म्म ...लेकिन तेरी उमर की बहुत सारी लड़कियाँ फ्रंट ओपन ब्रा पहनती हैं क्यूंकी बैक ओपन ब्रा की हुक खोलना और लगाना आसान नहीं है।

"हाँ वह तो है। मैं भी तो कितनी बार नेहा दीदी को बोलती हूँ हुक लगाने के लिए l"

शुक्र कर आज किसी को बुलाना नहीं पड़ा, नहीं तो मुझे तेरी ब्रा का हुक लगाना पड़ता।

मैं शरमा गयी और खी-खी कर हंसने लगी। वह मेरी मासूमियत से खेल रहे थे पर उस समय मुझे इतनी समझ नहीं थी।

चाचू--रश्मि, मैं यहाँ कुर्सी में बैठता हूँ। तू एकबार मेरे सामने से दरवाज़े तक जा और फिर वापस आ।

"पर क्यूँ चाचू?"

चाचू--तू जब यहाँ आ रही थी मुझे लगा की ड्रेस के नीचे से तेरी पैंटी दिख रही है, तेरे चलने पर दिख रही है। ऐसा तो होना नहीं चाहिएl

ये सुनकर मैं अवाक रह गयी। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। शर्मिंदगी से मैं सर भी नहीं उठा पा रही थी।

मैंने वैसा ही किया जैसा चाचू ने हुकुम दिया था। चलने से पहले मैंने ड्रेस को नीचे खींचने की कोशिश की पर बदक़िस्मती से वह छोटी ड्रेस बिल्कुल भी नीचे नहीं खिंच रही थी।

चाचू--रश्मि तेरी पैंटी तो साफ़ दिख रही है ड्रेस के नीचे से। तूने सफेद रंग की पैंटी पहनी है ना?

चाचू के कमेंट से मैंने बहुत अपमानित और शर्मिंदगी महसूस की। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, इसलिए चुपचाप सहन कर लिया। मैंने सर हिलाकर हामी भर दी की सफेद पैंटी पहनी है।

चाचू--अच्छा अब एक बार मेरे पास आ। मैं ज़रा देखूं इसे कुछ किया जा सकता है कि नहीं।

मेरे पास कहने को कुछ नहीं था, मैं चाचू की कुर्सी के पास आ गयी। वह मेरे सामने झुक गये और अब उनकी आँखें मेरी गोरी-गोरी जांघों के सामने थीं। अब दोनों हाथों से उन्होंने मेरी ड्रेस के सिरों को पकड़ा और नीचे खींचने की कोशिश की पर वह नीचे नहीं आईl

चाचू--रश्मि, ये ड्रेस तो और नीचे नहीं आएगी। लेकिन एक काम हो सकता है शायद।

मैंने चाचू को उलझन भरी निगाहों से देखा। वह खड़े हो गये।

चाचू--ये जो ड्रेस के फीते तूने कंधे पर बाँधे हैं ना, उनको थोड़ा ढीला करना पड़ेगा, तब ये ड्रेस थोड़ा नीचे आएगी।

उनके सुझाव से मेरे दिल की धड़कन एक पल के लिए बंद हो गयी।

"पर चाचू उनको ढीला करने से तो नेकलाइन डीप हो जाएगी।"

चाचू--देख रश्मि, ये ड्रेस तो तेरी मम्मी की चॉइस है। दाद देनी पड़ेगी भाभी को। या तो पैंटी एक्सपोज करो या फिर ब्रा।

अब ये तो मेरे लिए उलझन वाली स्थिति हो गयी थी। मैंने चाचू पर ही बात छोड़ दी।

"चाचू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। मम्मी ने ये कैसी ड्रेस खरीदी है।"

चाचू--तू सिर्फ़ चुपचाप खड़ी रह। मैं देखता हूँ।

चाचू--क्या माफ। अभी तूने बोला की मैं ये ठीक नहीं कर रहा हूँ। तू बता मुझे क्या ग़लत किया है मैंने? नहीं तो भाभी को आने दे, मैं उनसे बात करता हूँ।

वो थोड़ा रुके फिर...।

चाचू--भाभी को अगर पता लगा की उनकी ये प्राइवेट ड्रेस मैं देख चुका हूँ तेरे जरिए । तू सोच ले क्या हालत होगी तेरी।

मम्मी से शिकायत की बात सुनते ही मैं बहुत घबरा गयी। चाचू उल्टा मुझे फँसाने की धमकी दे रहे थे। उस समय मैं नासमझ थी और मम्मी का ज़िक्र आते ही डर गयी और उस बेवक़ूफी भरे डर की वज़ह से कुछ ही देर बाद चाचू के हाथों मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा अपमान मुझे सहना पड़ा।

चाचू ने मुझे अपने से अलग किया और मेरे नंगे कंधों को पकड़कर कठोरता से मेरी आँखों में देखा। मम्मी का ज़िक्र आने से मेरी आवाज़ काँपने लगी।

"चाचू प्लीज, मम्मी को कुछ मत बोलना।"

चाचू--क्यूँ? मुझे तो बोलना है भाभी को की उनकी छोटी लड़की अब इतनी बड़ी हो गयी है कि अपने चाचा पर अंगुली उठा रही है।

"चाचू प्लीज। मैं बोल तो रही हूँ, आप जो बोलोगे मैं वही करूँगी। सिर्फ़ मम्मी को मत बोलिएगा।"

चाचू--देख रश्मि, एक बार तेरी चाची भी ग़लत इल्ज़ाम लगा रही थी मुझ पर । लेकिन अंत में उसको मेरे आगे समर्पण करना पड़ा। वह भी यही बोली थी, 'आप जो बोलोगे मैं वही करूँगी' ।

चाचू कुछ पल रुके फिर ।

चाचू--वह मेरी बीवी है ज़रूर लेकिन मुझ पर ग़लत इल्ज़ाम लगाने का सबक सीख गयी थी उस दिन। पूछ क्या करना पड़ा था तेरी चाची को?

"क्या करना पड़ा था चाची को?"

चाचू--बंद कमरे में एक गाने की धुन पर नाचना पड़ा था उसको, नंगी होकर।

"नंगी .?"

मैंने चाची को नंगी होकर नाचते हुए कल्पना करने की कोशिश की, उसका इतना मोटा बदन था, देखने में बहुत भद्दी लग रही होगी। फिर मुझे डर लगने लगा ना जाने चाचू मुझसे क्या करने को कहेंगे। मैंने चाचू से विनती करने की कोशिश की।

"चाचू मुझ पर रहम करो प्लीज।"

चाचू--चल किया।

मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। मैंने चाचू को विस्मित नजरों से देखा।

"सच चाचू?"

चाचू--हाँ सच। तुझे मैं नहीं बोलूँगा की तू मेरे सामने नंगी होकर नाच।

मुझ पर जैसे बिजली गिरी। मैं चुप रही और सांस रोककर इंतज़ार करने लगी की वह मुझसे क्या चाहते हैं।

चाचू--तुझे कुछ ख़ास नहीं करना रश्मि। सिर्फ़ मेरे सामने ये ड्रेस उतार दे और अब तो मेरे लंच का टाइम हो गया है, मुझे खाना परोस दे। फिर तेरी छुट्टीl

अगले कुछ पलों तक मुझे ये विश्वास ही नहीं हो रहा था कि चाचू मुझसे अपने सामने मेरी ड्रेस उतारने को कह रहे हैं। फिर मैं चाचू से विनती करने लगी पर उनपर कुछ असर नहीं हुआ। अब मैं अपनी ड्रेस उतारने के बाद होने वाली शर्मिंदगी की कल्पना करके सुबकने लगी थी। जब मुझे एहसास हुआ की मैं चाचू को अपना मन बदलने के लिए राज़ी नहीं कर सकती तब मैं कमरे के बीच में चली गयी और ड्रेस उतारने के लिए अपने मन को तैयार करने लगी।

मैंने अपने कंधों से ड्रेस के फीते खोले और मुझे कुछ और करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। फीते खोलते ही ड्रेस मेरे पैरों में गिर गयी। अब मैं चाचू के सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। मेरे जवान गोरे बदन के उतार चढ़ाव तेज लाइट में चमक रहे थे। चाचू मुझे कामुक नजरों से देख रहे थे। शर्मिंदगी से मुझे अपना मुँह कहाँ छुपाऊँ हो गयी।

चाचू--चल अब खाना परोस दे।

"चाचू आप एक मिनट रूको, मैं जल्दी से अपने कमरे से एक मैक्सी पहन लेती हूँ । फिर आपका खाना परोस देती हूँ।"

चाचू--रश्मि मैंने क्या बोला था? मैंने बोला था 'मेरे सामने ये ड्रेस उतार दे और मुझे खाना परोस दे' । मतलब ये ब्रा और पैंटी पहने हुए तू किचन में जाएगी और मेरे लिए खाना परोसेगी।

मैं गूंगी गुड़िया की तरह चाचू का मुँह देख रही थी।

चाचू--रश्मि, फालतू में मेरा टाइम बर्बाद मत कर। आगे-आगे चल। मुझे देखना है कि तेरी गांड सिर्फ़ पैंटी में कैसी लगती है।

चाचू का हुकुम मानने के सिवा मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में चाचू के कमरे से बाहर आई और चाचू मेरे पीछे चल रहे थे । वह अश्लील कमेंट्स कर रहे थे और मैं शर्मिंदगी से सुबक रही थी। उसी हालत में मैं किचन में गयी और चाचू के लिए खाना गरम करने लगी। चाचू किचन के दरवाज़े में खड़े होकर मुझे देख रहे थे। किचन में जब भी मैं किसी काम से झुकती तो मेरी दोनों चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को मचल उठती, उन्हें उछलते देखकर चाचू अश्लील कमेंट्स कर रहे थे।

फिर मैंने डाइनिंग टेबल में चाचू के लिए खाना लगा दिया। वह खाना खा रहे थे और मैं उनके सामने सर झुकाए हुए अधनंगी खड़ी थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि एक मर्द के सामने ऐसे अंडरगार्मेंट्स में खड़े रहने से तो नंगी होना ज़्यादा अच्छा है। आख़िरकार चाचू के खाना खा लेने के बाद मेरा ह्युमिलिएशन ख़त्म हुआ।

चाचू--जा रश्मि, अब अपने कमरे में जाकर स्कर्ट ब्लाउज पहन ले। दिल खट्टा मत कर और एक बात याद रख, आज जो भी हुआ इसका ज़िक्र अगर तूने किसी से किया तो तेरी खैर नहीं।

मैं अपने कमरे में चली गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया। बहुत अपमानित महसूस करके मेरी रुलाई फूट पड़ी और मैं बेड में लेटकर रोने लगी। कुछ देर बाद मैं नॉर्मल हुई और फिर मैंने स्कर्ट टॉप पहनकर अपने बदन को ढक लिया।

.......। फ्लैशबैक समाप्त .........

कहानी जारी रहेगी

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