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Click hereज़ाहिद के लंड के पानी को अपनी फुद्दि में आते हुए महसूस कर के शाज़िया की बच्चे दानी ने अपने भाई के लंड के जूस के इस्तक्बाल के लिए अपना मुँह खोल दिया।
तो ज़ाहिद की लेस दार पानी उस की बहन की बच्चे दानी में एक तेज फव्वारे की सूरत में गिर कर शाज़िया की दो साला प्यासी चूत की ज़मीन को गीला करते हुए उस में अपने बीज बोने लगा।
जब नीचे से दोनों बहन भाई के पानियों का आपस में मिलाप हुआ।तो ऊपर से दोनों बहन भाई के जिस्म भी एक दूसरे लिपट गये।
अब उन दोनों के जवान बदन पसीने से भीगे हुए थे।
कुछ देर तक अपनी बहन की फुद्दि में अपना लंड डाले और शाज़िया के जिस्म के ऊपर ही ढेर होने के बाद ज़ाहिद अपनी बहन के बदन के ऊपर से उठा और अपने लंड को अपने लंड के वीर्य से शराबोर अपनी बहन की चूत से बाहर निकाला।
तो शाज़िया की मोटी फुद्दि से "पुक्क्क" की आवाज़ निकल गई।
अपनी बहन की फुद्दि से लंड निकाल कर ज़ाहिद ने शाज़िया की तरफ देखा।
आज इतने साल बाद अपनी फुद्दि की प्यास बुझाने की वजह से शाज़िया का चेहरा एक अलग ही मस्ती की वजह से चमक रहा था।
शाज़िया के खूबसूरत चेहरे पर खुले हुए बालों की लटे पड़ी हुई थी।और उस के रस भरे होन्ट और बड़े-बड़े मम्मे अपने भाई के मुँह की थूक से चुमक रहे थे।
जब कि शाज़िया की चूत अपने भाई के मोटे और बड़े लंड की जबर्जस्त चुदाई की वजह से सुर्ख हो कर पहले से ज़्यादा फूल गई थी।
उन दोनों बहन भाई की सुहाग की सेज पर पड़ी फूलों की पत्तियाँ इधर उधर बिखरी पड़ी थी।
जब कि उन के बिस्तर की चादर दोनों बहन भाई की चुदाई के पानी से जगह-जगह से भीग कर तर हो चुकी थी।
अगरचे दोनों बहन भाई अपनी इस गरम चुदाई से थक कर चूर हो चुके थे। मगर इस के बावजूद ज़ाहिद जानता था कि "पिक्चर अभी बाकी है दोस्त।"
अपनी बहन की फुद्दि में अपना वीर्य उडेलने के बाद ज़ाहिद बिस्तर से उठ कर कमरे के अटेच बाथ रूम में चला गया।
जबकि दूसरी तरफ शाज़िया अभी तक अपनी टाँगें खोले बिस्तर पर कमर के बल बे सुध पड़ी हुई थी।
ज़ाहिद के लंड ने शाज़िया की फुद्दि की वाकई ही आज हालत खराब करके रख दी थी।
आज दो साल बाद अपने ही सगे भाई के लंड से चुदवा कर शाज़िया का प्यासा बदन बहुत ही पूर सकून हो चुका था।
इसीलिए अपनी चूत का पानी छोड़ने के बावजूद शाज़िया अभी तक अपनी बिखरी सांसो को संभालने में लगी हुई थी।
थोड़ी देर बाद अपनी सांसो को काबू करते हुए शाज़िया ने अपनी गान्ड के नीचे रखा हुआ पिल्लो को निकाल कर अपनी गर्दन के नीचे रखा।
तो इतनी देर में ज़ाहिद बाथरूम से फारिग हो कर वापिस कमरे में दाखिल हुआ।
ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन अपने सुहाग के बिस्तर पर बड़े आराम से पैर फैलाए लेटी हुई है।और शाज़िया की गान्ड के नीचे बिच्छी बिस्तर की चादर पर दोनों बहन भाई के लंड और फुद्दि का पानी गिरा हुआ है।
जब कि उस की बहन शाज़िया की फुद्दि ज़ाहिद की जबर्जस्त चुदाई की वजह से पहले-सी भी ज़्यादा फूल गई है।
दूसरी तरह बिस्तर पर लेटी शाज़िया ने अपने सर को उठा कर बाथरूम के दरवाज़े पर खड़े हुए अपने भाई ज़ाहिद की तरफ देखा।
ज्यों ही दोनों बहन भाई की अपनी पहली चुदाई के बाद नज़रें मिलीं।तो ज़ाहिद ने बड़े प्यार भरे अंदाज़ में अपनी बहन को हल्की से आँख मारी।
अपने भाई के प्यार से इस अंदाज़ को देख कर शाज़िया ने नकली शरमाते हुए अपनी आँखे फॉरन बंद कर लीं।
ज़ाहिद ने जैसे ही अपनी बहन को इस तरह शरमाते देखा।तो उस ने बड़े धीमे और मस्ती भरे लहजे में अपनी बहन शाज़िया से पूछा"क्यों मेरी जान तुम्हारी गरम और प्यासी चूत की गर्मी कुछ कम हुई है या नही।"
शाज़िया को उस की दूसरी सुहाग रात में जो जिन्सी सकून आज उस के अपने भाई ने दिया था।
वो स्वाद और मज़ा तो शाज़िया को कभी अपने सबका शोहर से अपनी पूरी दो साला जिंदगी में भी हासिल नहीं हुआ था।
और इस बात का ऐतराफ़ शाज़िया आज अपने मुँह से बोल कर अपने भाई से करना तो चाहती थी। मगर कोशिश के बावजूद उस की ज़ुबान ने उस का साथ ना दिया।
इसीलिए शाज़िया खामोशी से चुप चाप अपनी आँखे बंद किए बिस्तर पर लेटी रही।
इसी दौरान ज़ाहिद आहिस्ता से चलता हुआ अपनी बहन के नज़दीक आया और बिस्तर के नज़दीक खड़े-खड़े अपनी बहन शाज़िया को पुकारा"अब तो हम दोनों एक जिस्म और दो जान हो चुके हैं, तो फिर ये शरमाना कैसा, आँखें खोल कर मेरी तरफ देखो मेरी जान।"
ज़ाहिद की कही हुई बात वाकई ही सही थी। क्योंकि अपनी पहली चुदाई के बाद, जब उस के भाई ज़ाहिद के लंड का गाढ़ा वीर्य शाज़िया की चूत में गिर कर अब उस की चूत में जज़ब हो चुका था। तो अब उन दोनों में बहन भाई वाला रिश्ता तब्दील हो कर एक हक़ीक़ी मियाँ बीवी में बदल ही चुका था।
इसीलिए "चॅट में क्या दुनिया दारी, इश्क में केसी मजबूरी" वाले इस शेर की मानिंद शाज़िया ने सोचा कि अब बात-बात पर अपने भाई से शरमाना उस के लिए बेकार है।
इसी लिए शाज़िया ने फिर से अपनी आँखे खोलीं और पास खड़े हुए अपने भाई की तरफ देखा।
अपने भाई की तरफ देखते ही शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी।
शाज़िया ने देखा कि उस के भाई ज़ाहिद का लंड उस वक्त पूरी तरह अपनी बहन की फुद्दि के जूस भीगा हुआ था।
शाज़िया के सबका शोहर के बदकास ज़ाहिद का लंड ना सिर्फ़ एक बार अपनी बहन की फुद्दि में फारिग होने के बावजूद अभी तक ढीला नहीं पड़ा था।
बल्कि उस के सबका शोहर की मुक़ाबले ज़ाहिद का मोटा लंड अपना पानी निकालने के बावजूद पहले से ज़्यादा सख्ती के साथ अकड़ कर आसमान की तरफ देखते हुए इधर उधर उछल कूद कर रहा था।
ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का इस तरह अपने लंड की तरफ लालची नज़र से देखना अच्छा लगा।
ज़ाहिद आहिस्ता से अपनी बहन के साथ उस के बिस्तर पर बैठा और उस ने बड़े प्यार से अपनी बहन के बालों में हाथ डाल के उस का चेहरा अपने करीब किया और शाज़िया के होंठो को बहुत ही कस के चूमा।
साथ ही ज़ाहिद ने अपना हाथ शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ ले जा कर अपनी बहन की गरम फुद्दि पर अपना हाथ कर चूत को ज़ोर से मसला।
"हाईईईईईईईईई! भाईईईईईईई! ऐसेयययी! नाआअ! दबूऊऊ! दरद! हो रही हाईईईईईईईईई!" शाज़िया को अपने भाई के लंड से ताज़ा-ताज़ा चुदि हुई फुद्दि में वाकई ही थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था। इसीलिए अपने भाई के हाथ की सख्ती को अपनी फुद्दि महसूस कर के शाज़िया चिल्ला उठी।
"तुम कौन-सी कुँवारी हो, जो तुम को दर्द हो रहा है मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात पर हेरान होते हुए पूछा।
"मेरी चूत कंवारी ना होते हुए भी आप के मोटे और बड़े लंड के लिए कंवारी ही है, उफफफ्फ़ मुझे इतनी तकलीफ़ तो पहली दफ़ा चुदवाते वक्त नहीं हुई थी, जितनी आज रात हुई है भाई" शाज़िया ने जवाब दिया।
"फिकर ना करो अभी तुम्हारी चूत के दर्द को ठीक करता हूँ" ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने आप को अपनी बहन से अलग किया और बिस्तर पर बिखरी हुए गुलाब के फूल उठा कर कुछ फूल शाज़िया के जिस्म और कुछ अपनी बहन की फुद्दि के ऊपर बिखेर दिए।
"इन फुलो से क्या हो गा भाई" शाज़िया ने अपने भाई की हरकत का मतल्ब ना समझते हुए पूछा।
"ये फूल मेरी बहन की फूल-सी चूत का सारा दर्द चूस कर उसे मिटा देंगे मेरी जान ।"
शाज़िया जानती थी कि उस के भाई की ये हरकत उस के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार के इज़हार के अलावा कुछ नही।
इसी लिए वह अपने भाई की बात पर मुस्कुराइ और बोली "अच्छा अब बस करो मुझे नीद आ रही है ।"
"रूको अभी तुम्हारी नीद उड़ा देता हूँ जान" ये कहते हुए ज़ाहिद शाज़िया के बराबर लेटा और शाज़िया को खैंच कर अपने सीने से लगा लिया।
फिर ज़ाहिद ने जोश में आते हुए अपना हाथ आगे बढ़ा कर शाज़िया की फुद्दि पर रखा।और फिर अपनी बहन की चूत के दाने (क्लिट) से खेलने लगा।
ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की दरार को छेद रहा था और साथ-साथ शाज़िया की फुद्दि के मोटे दाने को अपने हाथ की उंगलियो से रगड़ भी रहा था।
ज़ाहिद काफ़ी देर तक अपनी बहन की फुद्दि को मसलता रहा।
शाज़िया के होंठ ज़ाहिद के होंठो की गिरफ़्त में थे।
अपनी बहन की चूत के दाने से खेलते-खेलते ज़ाहिद ने अपनी बहन की चूत में अपनी दरमियानी उंगली डाली। तो ज़ाहिद की उंगली अपनी बहन की फुद्दि में छोड़े हुए उस के अपने जूस से पूरी की पूरी तर हो गई।
ज़ाहिद ने अपनी कम से तर अपनी उंगली को शाज़िया की फुद्दि से निकाल कर अपनी उंगली अपनी बहन के होंठो पर रखी और बोला"लो आज अपनी ही फुद्दि का पानी पी लो जान।"
"ना करो ना भाई अब सोने दो प्लीज़ ।" शाज़िया की आँखों में नींद उतरी हुई थी।
"जान अभी मेरी दिल नहीं भरा, चलो अब मुँह खोलो" ज़ाहिद ने अपनी उंगली का दबाव अपनी बहन के होंठो पर बढ़ाते हुए कहा।
जारी रहेगी