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पंडित जी और भोली विधवा 02

Story Info
विधवा का श्रृंगार शुरू किया.
1.9k words
4
218
00

Part 2 of the 3 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/11/2021
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पंडित: अब तुम मेरी छाती पर टिक्के से बिंदु बना दो और मेरे निप्पलस के चारों तरफ़ एक घेरा भी बना दोl

निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयीl

शीला पंडित के निपल्स पर टिक्का लगाने लगीl

पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का सोत्र (सोर्स) होती हैl यहाँ भी टिक्का लगाओl

शीला: जो आज्ञा पंडितजी l

शीला ने उंगली में टिक्का लगायाl पंडित की नेवेल में उंगली डाली और टिका लगाने लगी, पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और चेस्ट शेव करने के साथ-साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई थीl इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी, शीला सोच रही थी की इतनी चिकनी नेवेल तो उसकी ख़ुद की भी नहीं हैl शीला पंडित के बदन की तरफ़ खीची चली जा रही थीl ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए थे l

शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकालीl पंडित ने अपने थेले से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली, लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थीl 5 इंच लंबी और 1 इंच मोटी थीl

लकड़ी के एंड में एक छेद थाl पंडित ने उस छेद में डाल कर धागा बाँधा l

पंडित: यह लोl यह पूजनीय लिंग हैl इसे मैंने काफ़ी कड़ी साधना के बाद सिद्ध किया है l

शीला ने लिंग को प्रणाम किया l

पंडित: इस लिंग को अपनी कमर में बाँध लो, यह हमेशा तुम्हारे सामने आना चाहिएl तुम्हारे पेट के नीचेl

शीला: पंडितजीl इससे क्या होगा?

पंडित: इस से ऊपर वाले का आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगाl यदि किसी और ने इससे देख लिया तो अनर्थ हो जाएगाl अतः यह किसी को दिखाना या बताना नहीं और तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है, ।सोते समय भीl

शीला: जैसा आप कहें पंडितजीl

पंडित: लाओl मैं बाँध दू।

दोनो खड़े हो गयेl पंडित ने वह लिंग शीला की कमर में डाला और उसके पीछे आ कर गाँठ बाँधने लगाl उसके हाथ शीला की नंगी कमर को छु रहे थेl

गाँठ लगाने के बाद पंडित बोला;

पंडित: अब इस लिंग को अंदर डाल लो।

शीला ने लिंग को अपने पेटिकोट के अंदर कर लियाl लिंग शीला की टाँगों के बीच में आ रहा थाl

पंडित: बसl अब तुम वस्त्रा बदल कर घर जा सकती होl जो टिका मैने लगाया है उसे ना हटानाl चाहे तो घर जा कर साडी उतार के सलवार कामीज़ पहन लेना, जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टिका किसी को दिखे नाl

शीला: परंतु स्नान करते समय तो टिका हट जाएगाl

पंडित: उसकी कोई बात नहींl

शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी, उसने टाँगों के बीच लिंग पहन रखा थाl पूरे दिन वह टाँगों के बीच लिंग लेके चलती फिरती रहीl लिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहाl उसकी स्किन को टच करता रहाl

रात को सोतेः वक़्त शीला कच्छी नहीं पहनती थी, जब रात को शीला सोने के लिए लेटी हुई थी तो लिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में थाl शीला लिंग को दोनों टाँगें जोड़ के दबाने लगीl उसे अच्छा लग रहा थाl उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही थी। उसने सलवार का नाडा खोलाl लिंग को हाथ में लिया और लिंग को हल्के-हल्के अपनी चूत पर दबाने लगीl फिर लिंग को अपनी चूत पर रगड़ने लगीl वह गरम हो रही थी।

तभी उसे ख़याल आया "शीला, यह तू क्या कर रही है, पूजनीय लिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप हैl" यह सोच कर शीला ने लिंग से हाथ हटा लिया, सलवार का नाडा बाँधा और सोने की कोशिश कारने लगीl

तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुलीl उसे अपनी हिप्स के बीच में कुछ चुभ रहा थाl उसने सलवार का नाडा खोलाl हाथ हिप्स के बीच में ले गयीl तो पाया की लिंग उसकी हिप्स के बीच में फंसा हुआ थाl लिंग का मूँह शीला के छेद से चिपका हुआ थाl शीला को पीछे से यह चुभन अच्छी लग रही थीl उसने लिंग को अपनी गांड पर और प्रेस किया,। उसे मज़ा आयाl और प्रेस कियाl और मज़ा आयाl

उसकी गांड मैं आग-सी लगी हुई थीl उसका दिल चाह रहा था कि पूरा लिंग गांड में दबा दे, तभी उसे फिर ख़याल आया की लिंग के साथ ऐसा करना पाप है, डर के कारण उसने लिंग को टाँगों के बीच में कर दियाl नाडा बाँधाl और सो गयीl

अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहन कर गयीl

पंडित: आओ शीलाl जाओ दूध से स्नान कर आओl और वस्त्रा बदल लो।

शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसनेह देखा की आज जोगिया ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कच्छी भी पड़ी थी, उसने अपनी ब्लॅक कच्छी उतार के जोगिया कच्छी पहन लीl नहा के बाहर आईl

पंडित अग्नि जला कर बैठा थाl

शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी।

पंडित: शीला, आज तो तुम्हारे सारे वस्त्र शुद्ध हैं ना?

शीला थोडा शरमा गयी।

शीला: जी पंडितजीl

वह जानती थी की पंडित का मतलब कच्छी से हैl

पंडित: तुम चाहो तो वह लिंग फिलहाल निकाल सकती होl

शीला खड़ी होकर लिंग खोलने लगीl लेकिन गाँठ काफ़ी टाइट लगी थीl पंडित ने यह देखा।

पंडित: लाओ मैं खोल दू ।

पंडित भी खड़ा हुआl शीला के पीछे आ कर वह खोलने लगा ।

पंडित: लिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं कियाl ख़ास कर रात में सोने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई.।?

शीला कैसे कहती की रात को लिंग ने उसके साथ क्या किया हैl

शीला: नहीं पंडितजीl कोई परेशानी नहीं हुई.।

शीला ने लिंग पेटिकोट से निकाला तो पाया की मौलि उसके पेटिकोट के नाडे में उलझ गयी थीl शीला कुछ देर कोशिश करती रही लेकिन मौलि नाडे से नहीं निकलीl

पंडित: शीला, विलंभ हो रहा हैl लाओ मैं निकालूं l

पंडित शीला के सामने आया और उसके पेटिकोट के नाडे से निकालने लगा l

पंडित: यह ऐसे नहीं निकलेगाl तुम ज़रा लेट जाओ ।

शीला लेट गयीl पंडित उसके नाडे पर लगा हुआ था ।

पंडित: शीलाl नाडे की गाँठ खोलनी पड़ेगीl विलंभ हो रहा हैl

शीला: जीl

पंडित ने पेटिकोट के नाडे की गाँठ खोल दीl गाँठ खोलने से पेटीकोट ढीला हो गया और शीला की कच्छी से थोडा नीचे आ गयाl

शीला शर्म से लाल हो रही थीl पंडित ने शीला का पेटिकोट थोडा नीचे सरका दियाl शीला पंडित के सामने लेती हुई थीl उसका पेटिकोट उसकी कच्ची से नीचे थाl निकालते वक़्त पंडित की कोनी (एल्बो)

शीला की चूत के पास लग रही थीl कुछ देर बाद नाडे से अलग हो गयी।

पंडित: यह लोl निकल गयीl

पंडित पेटिकोट का नाडा बाँधने लगाl उसने नाडे की गाँठ बहुत टाइट बाँधीl शीला बोली...

शीला: आहl पंडितजीl बहुत टाइट हैl

पंडित ने फिर नाडा खोला और इस बार गाँठ लूस बाँधीl

फिर दोनों चौकड़ी मार के बैठ गये।

जब शीला ने सब कर लिया तो पंडित ने कहाl

पंडित: मैने कल अपनी किताबे फिर से पड़ी । तो उसमें लिखा था कि स्त्री जितनी आकर्षक दिखे उतना ही अच्छा है l इस के लिए स्त्री जितना चाहेः शृंगार कर सकती है, लेकिन सच कहूँl

शीला: कहिए पंडितजीl

पंडित: तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो की शायद तुम्हे शृंगार की आवश्यकता ही ना पड़े, l

शीला अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगीl

पंडित: मैं सोचता हूँ की तुम बिना शृंगार के इतनी सुंदर लगती होl तो शृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगीl

शीला: कैसी बातें करतें हैं पंडितजीl मैं इतनी सुंदर कहाँ हूँ,।

पंडित: तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो,। तुम्हारा व्यवहार भी बहुत चंचल है, तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती हैl

शीला यह सब सुन कर शर्मा रही थीl मुस्कुरा रही थीl उसे अच्छा लग रहा थाl

पंडित: तुम्हारा शृंगार पवित्र हाथों से होना चाहिएl इसलिए तुम्हारा

शृंगार मैं करूँगा,। इसमें तुम्हें कोई आपत्ति तो नहींl

शीला: नहीं पंडितजीl

पंडित: शीला, मुझे याद नहीं रहा थाl लेकिन जो लिंग मैने तुम्हें दिया था उस पर पंडित का चित्र होना चाहिए, इसलिए इस लिंग पर मैं अपनी एक छोटी-सी फोटो चिपका रहा हूँ l

शीला: ठीक है पंडितजीl

पंडित: और हाँ l रात को दो बार उठ कर इस लिंग को प्रणाम करनाl एक बार सोने से पहलेl और दूसरी बार बीच रात मैं।

शीला: जी पंडितजीl

पंडित ने लिंग पर अपनी एक छोटी-सी फोटो चिपका दीl और शीला को बाँधने के लिए दे दियाl

शीला ने पहले जैसे लिंग को अपनी टाँगों के बीच बाँध लियाl

शीला अपने कपड़े पहन के घर चली आई,। पंडित से अपनी तारीफ़ सुन कर वह खुश थीl

सारे दिन लिंग शीला के टाँगों के बीच चुभता रहाl लेकिन अब यह चुभन शीला को अच्छी लग रही थीl

शीला रात को सोने लेटी तो उसे याद आया की लिंग को प्रणाम करना हैl

उसने सलवार का नाडा खोल के लिंग निकाला और अपने माथे से लगायाl वह लिंग पर पंडित की फोटो को देखने लगीl

उसे पंडित द्वारा की गयी अपनी तारीफ़ याद आ गयी, उसे पंडित अच्छा लगने लगा थाl

कुछ देर तक पंडित की फोटो को देखने के बाद उसने लिंग को वहीं अपनी टाँगों के बीच में रख दिया और नाडा लगा लियाl

लिंग शीला की चूत को टच कर रहा थाl शीला ना चाहते हुए भी एक हाथ सलवार के ऊपर से ही लिंग पर ले गयीl और लिंग को अपनी चूत पर दबाने लगीl साथ-साथ उसे पंडित की तारीफ़ याद आ रही थीl

उसका दिल कर रहा था कि वह पूरा का पूरा लिंग अपनी चूत में डाल देl लेकिन इसे ग़लत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने लिंग से हाथ हटा लियाl

आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे याद आया की लिंग को प्रणाम करना हैl

लिंग का सोचते ही शीला को अपनी हिप्स के बीच में कुछ लगा । लिंग कल की तरह शीला की हिप्स में फ़सा हुआ था ।

शीला ने सलवार का नाडा खोला और लिंग बाहर निकाला, उसने लिंग को जय कियाl उस पर पंडित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी..."यह क्या पंडित जीl पीछे क्या कर रहे थे? l"

शीला लिंग को अपनी हिप्स के बीच में ले गयी और अपने गांड पर दबाने लगी, उसेह मज़ा आ रहा था ।

लेकिन डर की वज़ह से वह लिंग को गांड से हटा कर टाँगों के बीच ले आईl उसने लिंग को हल्का-सा चूत पर रगड़ाl फिर लिंग को अपने माथे पर रखा और पंडित की फोटो को देख कर दिल मैं कहने लगी "पंडितजीl क्या चाहते हो...? l एक विधवा के साथ यह सब करना अच्छी बात नहीं ।"

फिर उसने वापस लिंग को अपनी जगह बाँध दियाl और गरम चूत ही ले के सो गयीl

अगले दिन;

पंडित: शीलाl इंसान की तरह ही देवताओ को भी सुंदर स्त्रिया आकर्षित करती हैं, इसलिए, तुम्हें शृंगार करना होगाl यह शृंगार शुद्ध हाथों से होना चाहिए । मैने ऐसा पहले इसलिए नहीं कहा की शायद तुम्हें लज्जा आयेl

शीला: पंडितजीl मैने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं इस काम में कोई लज्जा नहीं करूँगी।

पंडित: तो मैं तुम्हारा शृंगार ख़ुद अपने हाथों से करूँगाl

शीला: जी पंडितजीl

पंडित: तो जाओl पहले दूध से स्नान कर आओ।

शीला दूध से नहा आईl

पंडित ने शृंगार का सारा समान तैयार कर रखा थाl लिपस्टिक, रूज़, आई-लाइनर, ग्लिम्मर, बॉडी आयिल, शीला ने ब्लाउस और पेटिकोट पहना हुआ थाl

पंडित: आओ शीलाl

पंडित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गयेl पंडित शीला के बिल्कुल पास आ गया l

पंडित: तो पहले आँखों से शुरू करते हैंl

पंडित शीला के आई-लाइनर लगाने लगा ।

पंडित: शीलाl एक बात कहूँ?

शीला: कहिए पंडितजी।

पंडित: तुम्हारी आँखें बहुत सुंदर हैंl तुम्हारी आँखों में बहुत गहराई हैl

शीला शर्मा गयीl

कहानी जारी रहेगी...

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